भाषा शिक्षण के उपागम MCQ Quiz - Objective Question with Answer for भाषा शिक्षण के उपागम - Download Free PDF
Last updated on May 13, 2025
Latest भाषा शिक्षण के उपागम MCQ Objective Questions
भाषा शिक्षण के उपागम Question 1:
भाषा शिक्षण-अधिगम का कौन-सा उपागम इस तथ्य में विश्वास करता है कि 'भाषा एक आदत है'?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 1 Detailed Solution
भाषा शिक्षण के विभिन्न दृष्टिकोण भाषा सीखने के तरीके के बारे में अलग-अलग सिद्धांतों पर आधारित हैं। कुछ संचार और बातचीत पर जोर देते हैं, जबकि अन्य दोहराव और सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
Key Points
- वह दृष्टिकोण जो यह मानता है कि भाषा एक आदत है, श्रव्य-भाषावाद है।
- यह विधि व्यवहारवादी मनोविज्ञान पर आधारित है, जो सीखने को उत्तेजना-प्रतिक्रिया-सुदृढीकरण के माध्यम से आदतों के निर्माण के रूप में देखता है।
- श्रव्य-भाषिक दृष्टिकोण में, शिक्षार्थियों को अभ्यास, पैटर्न अभ्यास और वाक्य संरचनाओं को याद करने के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि सचेत सोच के बिना भाषा रूपों का स्वचालित, सही उपयोग विकसित किया जा सके।
Hint
- प्राकृतिक उपागम आदत निर्माण के बजाय तनाव मुक्त, सार्थक संदर्भ में भाषा अधिग्रहण पर जोर देता है।
- सम्प्रेषणात्मक भाषा शिक्षण में पुनरावृत्ति की अपेक्षा सार्थक संचार और प्रवाह पर ध्यान दिया जाता है।
- सहयोगात्मक भाषा अधिगम में सामाजिक संपर्क और समूह कार्य के माध्यम से सीखने पर जोर दिया जाता है।
अतः सही उत्तर श्रव्य-भाषावाद है।
भाषा शिक्षण के उपागम Question 2:
एक अध्यापिका कक्षा आठ के शिक्षार्थियों को एक आलेख देती हैं जिसका स्तर उनके भाषा स्तर से कुछ अधिक है। शिक्षार्थी को इस पाठ्य सामग्री के साथ बहुत से कार्य करने हैं। इसे किस रूप में जाना जाएगा?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 2 Detailed Solution
भाषा अधिगम में, शिक्षार्थियों को प्राप्त इनपुट उनकी समझ और कौशल विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- भाषा अर्जन में एक प्रसिद्ध विचार यह है कि शिक्षार्थी तब सबसे अच्छी प्रगति करते हैं जब उन्हें ऐसे इनपुट मिलते हैं जो उनके वर्तमान स्तर से थोड़ा ऊपर होते हैं, लेकिन समर्थन के साथ अभी भी समझने योग्य होते हैं।
Key Points
- जब कोई शिक्षक शिक्षार्थियों के भाषा स्तर से थोड़ा ऊपर का लेख उपलब्ध कराता है और उसके आधार पर कार्य सौंपता है, तो इसे बोधगम्य निवेश के रूप में जाना जाता है।
- स्टीफन क्रैशन द्वारा प्रस्तुत यह अवधारणा यह सुझाव देती है कि शिक्षार्थी भाषा को प्रभावी ढंग से तब सीखते हैं जब सामग्री उनकी समझ को बढ़ाने के लिए पर्याप्त चुनौतीपूर्ण हो, लेकिन इतनी कठिन न हो कि वह दुर्गम हो जाए।
- कार्यों का उपयोग पढ़ने में सहायता करता है और शिक्षार्थियों को पाठ के साथ सार्थक रूप से जुड़ने का अवसर देता है।
Hint
- पठन बोधगम्यता का तात्पर्य अभ्यास किये जा रहे कौशल से है, न कि इसमें सम्मिलित शिक्षण सिद्धांत से।
- अधिगम परिकल्पना एक व्यापक शब्द है और यह विशिष्ट रूप से इस अभ्यास का वर्णन नहीं करता है।
- अबोधगम्य निवेश से तात्पर्य ऐसी सामग्री से है जिसे शिक्षार्थी बिल्कुल भी नहीं समझ सकते, जो कि यहां मामला नहीं है।
अतः सही उत्तर बोधगम्य निवेश है।
भाषा शिक्षण के उपागम Question 3:
कई बार कुछ लोग एक ही वाक्य में विभिन्न भाषाओं का प्रयोग करते हैं। यह किसका उदाहरण है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 3 Detailed Solution
बहुभाषीय सेटिंग में, वक्ता अक्सर बातचीत के दौरान एक से अधिक भाषाओं के तत्वों को मिलाते हैं। यह प्राकृतिक भाषाई व्यवहार कई भाषाओं में उनकी सहजता और प्रवाह को दर्शाता है और अधिक अभिव्यंजक या कुशल संचार की अनुमति देता है।
Key Points
- जब लोग एक ही वाक्य में विभिन्न भाषाओं के तत्वों को जोड़ते हैं, तो यह कोड-मिक्सिंग का एक उदाहरण है।
- कोड-मिक्सिंग में एक वाक्य या उच्चारण के भीतर एक भाषा के शब्दों, वाक्यांशों या व्याकरणिक तत्वों को दूसरी भाषा की संरचना में सम्मिलित करना शामिल है।
- ऐसा प्रायः अवचेतन रूप से होता है और भाषायी लचीलेपन को दर्शाता है, विशेष रूप से अनौपचारिक संदर्भों में जैसे कि साथियों के साथ बातचीत या अनौपचारिक बातचीत।
Hint
- सामाजिक भाषाविज्ञान सामाजिक संदर्भों में भाषा का व्यापक अध्ययन है और इसमें वाक्य में भाषाओं के मिश्रण का उल्लेख नहीं किया जाता है।
- बोलियाँ विभिन्न क्षेत्रों या समुदायों में बोली जाने वाली एक ही भाषा के विभिन्न रूपों को कहते हैं।
- कोड-स्विचिंग में एक ही वाक्य के भीतर नहीं, बल्कि वाक्यों या भाषण के बीच एक भाषा से दूसरी भाषा में स्थानांतरण शामिल होता है।
अतः सही उत्तर कोड-मिश्रण (कोड-मिक्सिंग) है।
भाषा शिक्षण के उपागम Question 4:
रचनावाद एक अधिगम सिद्धांत के रूप में किसमें विश्वास करता है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 4 Detailed Solution
रचनावाद अधिगम का एक सिद्धांत है जो इस बात पर जोर देता है कि सीखने वाले लोग अनुभवों और अंतःक्रियाओं के माध्यम से दुनिया के बारे में अपनी समझ और ज्ञान का सक्रिय रूप से निर्माण कैसे करते हैं। यह व्यक्तियों के अधिगम के तरीके को आकार देने में सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों के महत्व पर प्रकाश डालता है।
Key Points
- एक अधिगम के सिद्धांत के रूप में रचनावाद का मानना है कि अधिगम सामाजिक रूप से निर्मित होता है।
- इस दृष्टिकोण के अनुसार, शिक्षार्थी अपने पूर्व अनुभवों से जुड़कर, प्रायः सहयोग, संवाद और निर्देशित खोज के माध्यम से, नया ज्ञान निर्मित करते हैं।
- वाइगोत्स्की और पियाजे जैसे सिद्धांतकारों से प्रभावित रचनावाद का मानना है कि ज्ञान केवल शिक्षक से छात्र तक प्रसारित नहीं होता, बल्कि सार्थक सामाजिक अंतःक्रियाओं और समस्या समाधान स्थितियों के माध्यम से सह-निर्मित होता है।
Hint
- यह दावा करना कि सीखना पूरी तरह से मनोवैज्ञानिक है, रचनावाद में जोर दिए गए सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को नजरअंदाज करता है।
- यह कहना कि यह केवल एक व्यक्तिगत विशेषता है , साथियों, शिक्षकों और पर्यावरण के प्रभाव को नजरअंदाज करना है।
- यह मानना कि सभी विद्यार्थी भाषाएं नहीं सीख सकते, सिद्धांत की समावेशी और विकासात्मक प्रकृति के विपरीत है।
अतः सही उत्तर है कि अधिगम सामाजिक रूप से निर्मित होता है।
भाषा शिक्षण के उपागम Question 5:
आपकी एक विद्यार्थी अपनी प्रिय पुस्तक उठाती है और अक्सर उसके चित्रों को संकेत के रूप में प्रयोग करते हुए कहानी पुनः कहती है। यह किसका उल्लेख है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 5 Detailed Solution
बचपन में साक्षरता विकास के दौरान, बच्चे स्वतंत्र रूप से पढ़ना सीखने से पहले ही किताबों और कहानियों से जुड़ना शुरू कर देते हैं। कहानी को फिर से सुनाने के लिए चित्रों का उपयोग करने जैसे ये व्यवहार संकेत देते हैं कि बच्चा पाठ के साथ सार्थक बातचीत के माध्यम से बुनियादी साक्षरता कौशल विकसित कर रहा है। Key Points
- जब कोई विद्यार्थी अपनी पसंदीदा पुस्तक लेता है और चित्रों को संकेतों के रूप में उपयोग करते हुए कहानी को दोहराता है, तो यह स्पष्ट रूप से उद्गामी पठन अवस्था का संकेत देता है।
- इस चरण में, बच्चे यह समझ प्रदर्शित करते हैं कि पुस्तकें कैसे काम करती हैं और पढ़ने के व्यवहार की नकल करना शुरू करते हैं।
- वे शब्दों को नहीं पढ़ते, बल्कि कहानी को फिर से रचने के लिए चित्रों और स्मृति पर निर्भर रहते हैं।
- यह कथात्मक संरचना के प्रति जागरूकता तथा मौखिक और लिखित भाषा के बीच विकसित होते संबंध को दर्शाता है।
- वास्तविक कूटवाचन शुरू होने से पहले पठन परम्पराओं के साथ आत्मविश्वास और परिचितता बनाने में यह एक महत्वपूर्ण चरण है।
Hint
- वाक्यगत जागरूकता से तात्पर्य वाक्य संरचना को समझने से है, जो इस व्यवहार में केन्द्रित नहीं है।
- वृत्तांतात्मक जागरूकता में कहानी के तत्वों को पहचानना शामिल है, लेकिन आकस्मिक पठन चित्र-समर्थित पुनर्कथन के समग्र व्यवहार का अधिक सटीक वर्णन करता है।
- ध्वन्यात्मक जागरूकता बोली जाने वाली भाषा में ध्वनियों से संबंधित होती है, जैसे तुकांत या शब्दांश, जिसे यहां नहीं दिखाया गया है।
अतः सही उत्तर उद्गामी पठन अवस्था है।
Top भाषा शिक्षण के उपागम MCQ Objective Questions
कहानी के संदर्भ में कौन-सा कथन उपयुक्त लगता है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFकहानी किसी सच या काल्पनिक घटना के बारे में बताती है। इसे इस तरह से बताया जाता है कि श्रोता अनुभव करे और कुछ सीखे। यह हिंदी भाषा शिक्षण से सम्बन्धित एक प्रभावी उपकरण है इसलिए इसका प्रयोग शिक्षण की एक विधि के रूप में भी किया जाता है।
कहानी में कथानक का होना आवश्यक होता है क्योंकि कथानक से तात्पर्य किसी कहानी की पृष्ठभूमि तथा सार से है। कहानी में उचित कथानक कहानी को सरल, सहज और औचित्यपूर्ण बनाता है तथा यह:
- बच्चों में सृजनात्मकता और चिंतनशीलता को विस्तार देती है।
- बच्चों की महत्वपूर्ण सोच कौशल और उनकी अंतर्दृष्टि को बढ़ावा देती है।
- बच्चों में सजगता तथा सृजनशीलता बढ़ाते हुए उन्हें काल्पनिक दुनिया की सैर कराती है।
- बच्चों की रुचि को कहानी में बनाये रखता है और उनकी तार्किक क्षमता को सही दिशा देती है।
अतः, यह स्पष्ट है कि 'कहानी में कथानक का होना आवश्यक है' कहानी के संदर्भ में उपयुक्त कथन है।
Additional Information
कहानी कथन की उपयोगिता सिद्ध करने हेतु ध्यान में रखे जाने वाले पक्ष:
- आदर्श वाचन
- रोचक अंदाज
- स्पष्ट उच्चारण
- उचित हाव भाव
- सही उतार चढाव
बच्चों में जन्मजात भाषिक क्षमता होती है। इसका एक शिक्षाशास्त्रीय पक्ष यह है कि पर्याप्त अवसर मिलने पर बच्चा
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF- प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक नॉम चॉम्स्की के अनुसार बच्चो में भाषा सीखने की क्षमता जन्मजात होती है अर्थात बच्चों में भाषा अर्जित करने की जन्मजात क्षमता होती है।
- इनके अनुसार बच्चो को एक सहज भाषा अधिग्रहण डिवाइस कहा जाता है।
- भाषा अधिग्रहण डिवाइस बच्चो भाषा आसानी से सीखने में मदद करती है।
- इसका शिक्षाशास्त्रीय पक्ष यह है की बच्चे अवसर मिलने पर नई भाषा सुगमता से सीख लेते है।
नॉम चॉम्स्की के दृष्टिकोण:-
- सहज क्षमता: उनका दृढ़ विश्वास है कि व्याकरण के जन्मजात ज्ञान के साथ जन्म लेने वाले बच्चे सभी भाषा अधिग्रहण के लिए आधार के रूप में कार्य करते हैं।
- उत्पादक व्याकरण: चॉम्स्की के अनुसार यह वाक्यों को उत्पन्न करने के लिए नियमों के एक सीमित सेट को संदर्भित करता है और इसका उपयोग उस भाषा में अधिक वाक्यों का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है।
- सार्वभौमिक व्याकरण: चॉम्स्की के सार्वभौमिक व्याकरण से पता चलता है कि सभी बच्चों में व्याकरण प्राप्त करने, समझने और विकसित करने की जन्मजात क्षमता होती है।
- भाषा अधिग्रहण उपकरण: चॉम्स्की ने प्रस्तावित किया कि मनुष्य एक भाषा अधिग्रहण उपकरण से लैस हैं जो एक बच्चे को भाषा प्राप्त करने और उत्पादन करने में सक्षम बनाता है।
अतः उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ठ है कि "बच्चों में जन्मजात भाषिक क्षमता होती है।" इसका एक शिक्षाशास्त्रीय पक्ष यह है कि पर्याप्त अवसर मिलने पर बच्चा नई भाषा आसानी से सीखेगा।
आपकी दृष्टि में अभ्यास –
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFपाठ्य-पुस्तकों में प्रत्येक पाठ अथवा विषय वस्तु के अन्त में अभ्यास कार्य दिया होता है, जिनका मुख्य कार्य पाठ को समझना होता है। अभ्यास कार्य यह परखने के लिए होता है कि बच्चे ने पाठ्य-पुस्तक को कितनी गहराई से पढ़ा है। जिस उद्देश्य से पाठ को पाठ्य-पुस्तक में शामिल किया है, बच्चे उस उद्देश्य को किस सीमा तक प्राप्त कर पाए हैं। अभ्यास का कार्य व्यापक अनुभव स्तर में तल्लीन होने का अवसर देते है।
Important Points
शिक्षण के बाद बच्चो को अभ्यास का कार्य दिया जाता है क्योकि-
- बच्चे स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं।
- किसी कार्य में दक्षता पाने के लिए
- अभ्यास कार्य में सीखी गई चीज़ को अधिक लंबे समय तक याद रखा जा सकता है।
- यह सीखने को दिलचस्प बना सकते है।
- अभ्यास मुख्य रूप से पाठ को समझने में मदद करते हैं।
- पाठ्य-पुस्तक की विषय वस्तु को बारीकि से परखने के लिए।
- विषयवस्तु के ज्ञान से गहराई से जुड़ने के लिए।
- अनुभवों को व्यापक बनाने के लिए।
- वे शैक्षिक अंतराल में भर सकते हैं।
अतः, यह कहा जा सकता है कि अभ्यास पाठ को समझने में मदद करते हैं।
“कविता का एक निश्चित अर्थ होता है, जिसे सभी विद्यार्थियों को पढ़ना चाहिए” – इस कथन के बारे में आप मानते हैं कि
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFकविता- जब किसी कहानी या भाव को कलात्मक (छंद, अलंकार आदि का प्रयोग करके) रूप से अभिव्यक्त किया जाये तो वह कविता कहलाती है। इसका शाब्दिक अर्थ कवी की कृति है। कविता का एक निश्चित अर्थ होता है, जिसे सभी विद्यार्थियों को पढ़ना चाहिए क्योकि सभी विद्यार्थी अपने अनुभव और परिवेश में ही कविता समझते हैं।
Key Points
- कविता में सौंन्दर्य तथा भावना की सहज अभिव्यक्ति होती है।
- कविता पाठक के मन को आसानी से छु जाती है।
- कविता में भाव तत्व की प्रधानता होती है।
- कल्पना के मिश्रण से सौंन्दर्य चित्रण को कविता में सहज और ग्राह्य बनाया जाता
- कविता की लयात्मकता शब्दावली को पढ़ने के लिए सस्वर पठनअनिवार्य है।
- कविता के द्वारा बिंब-विधान किया जाता है। बिंब एक प्रकार का शब्द चित्र होता है, जो कविता में ही उपस्थित होता है। इसी कारण कविता का अर्थ स्थिति की लाक्षणिता के आधार पर ग्रहण किया जाता है। जैसे साथ में दिये चित्र को देखिये-
अतः, हम कह सकते है कि “कविता का एक निश्चित अर्थ होता है, जिसे सभी विद्यार्थियों को पढ़ना चाहिए” – इस कथन का अर्थ है कि सभी विद्यार्थी अपने अनुभव और परिवेश में ही कविता समझते हैं।
कुल भौतिक प्रतिक्रिया (TPR) में किसकी केन्द्रीय भूमिका होती है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFकुल भौतिक प्रतिक्रिया विधि जेम्स आशेर द्वारा प्रतिपादित की गई है जो एक प्रयोगात्मक मनोवैज्ञानिक थे। छोटे बच्चे अपने प्रारंभिक वर्षों में आदेश या कार्य करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में अपनी भाषा सीखते हैं।
- जितनी जल्दी हो सके कमांड की प्रतिक्रिया के रूप में बच्चों के मोटर कौशल का उपयोग करने का यह सबसे अच्छा तरीका है। यह विधि युवा शिक्षार्थियों के लिए भाषा के सभी पहलुओं को आगमनात्मक और सक्रिय रूप से सीखने में सहायक है।
- यह विधि संचार शिक्षण के अंतर्गत आती है जहाँ शिक्षक आज्ञा देता है, छात्रों को 'बैठो', 'अपना भोजन समाप्त करो', 'अपने सिर को छुओ', 'चारों ओर घुमाओ' आदि जैसे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- पूर्ण शारीरिक प्रतिक्रिया भाषा और शारीरिक गति के समन्वय पर आधारित है। टीपीआर में, शिक्षक छात्रों को शरीर की गतिविधियों के साथ लक्षित भाषा में आदेश देते हैं, और छात्र पूरे शरीर की क्रियाओं के साथ प्रतिक्रिया करते हैं।
- यह शिक्षक केन्द्रित उपागम है।
अतः निष्कर्ष निकलता है कि कुल भौतिक प्रतिक्रिया (TPR) में शिक्षक की केन्द्रीय भूमिका होती है।
कक्षा पाँच की एक अध्यापक पाँच या छह शब्दों वाले पाँच वाक्यों का श्रुतलेख करवाती है। वह दो बार वाक्य पढ़ती है और शिक्षाथिययों को ध्यानपूर्वक सुनने के लिए कहती है और बोले गए वाक्यों को लिखने के लिए कहती है।
यहाँ पर अध्यापक श्रवण के किस उपागम का प्रयोग करना चाहती है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFऊर्ध्वगामी उपागम (बॉटम अप)- यह प्रक्रिया एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक जाती है। यह ध्वनियों से शब्दों, वाक्यांशों, खंडों और अन्य व्याकरणिक तत्वों तक जाने वाले पाठ की व्याख्या करने पर केंद्रित है।
- बॉटम-अप श्रवण युक्तियाँ एक प्रकार की सूचना प्रसंस्करण है जो एक धारणा बनाने के लिए पर्यावरण से आने वाले डेटा पर आधारित है।
- सुनने में बॉटम-अप प्रोसेसिंग, ध्वनियों से शब्दों, वाक्यांशों, खंडों और अन्य व्याकरणिक तत्वों से वाक्यों में जाने वाले संदेशों को इनकोड करना है।
- यह समग्र रूप से पाठ के अर्थ के बजाय व्यक्तिगत ध्वनियों, शब्दों और वाक्यांशों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- बॉटम-अप प्रोसेसिंग तब होती है जब कोई व्यक्ति वाक्य की सबसे बुनियादी इकाइयों के अलग-अलग अर्थों या व्याकरण संबंधी विशेषताओं को देखकर भाषा को समझने की कोशिश करता है, (जैसे सुनने के लिए ध्वनि या पढ़ने के लिए शब्द), और इनसे आगे बढ़कर संपूर्ण को समझने की कोशिश करता है।
- बाॅटम-अप श्रवण युक्तियो के अंतर्गत किसी विषय को सुनते समय उस पर स्कीमा सुजित करने के लिए मुख्य बिन्दुओं का इस्तेमाल किया जाता है और निष्कर्ष निकाला जाता है।
- श्रुतलेख, क्लोज़, बहुविकल्पी प्रश्नों का उपयोग, चर्चाओं का उद्देश्य बाॅटम-अप सुनने की प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना है:
- श्रुतलेख को विद्यार्थियों को ध्यान से सुनने, कुछ समय के लिए ध्यान केंद्रित करने और जो कहा जा रहा है उसे बनाए रखने और उचित गति से अच्छी लिखावट में इसे पुन: पेश करने के लिए प्रशिक्षित करने की तकनीक के रूप में माना गया है।
- क्लोज टास्क एक ऐसा कार्य है जिसमें किसी दिए गए टेक्स्ट में शब्दों को नियमित अंतराल पर रिक्त स्थान से बदल दिया जाता है और छात्र को सार्थक वाक्य बनाने के लिए रिक्त स्थान को उपयुक्त शब्दों से भरना होता है।
अतः निष्कर्ष निकलता है कि एक शिक्षिका अपनी कक्षा में पाँच वाक्यों का श्रुतलेख देती है। वह पाँचों वाक्यों को दो बार बोलती है तथा शिक्षार्थियों को वाक्यों को बिलकुल उसी तरह से लिखने के लिए कहती है, जिस तरह वे बोले गए थे। आकलन के लिए शिक्षिका यहाँ ऊर्ध्वगामी उपागम (बॉटम अप) अपना रही है।
एक शिक्षिका कक्षा V में 'अच्छा', 'सुन्दर', 'बुरा', 'रंगीन', 'बूढा', 'युवा' आदि शब्दों वाले बहुत से वाम्म देती है और जब शिक्षार्थी इन शब्दों पर ध्यान देते हैं जिन्हें वह 'विशेषता बताने वाले शब्द' का नाम देती है। बाद में वह उन्हें और आधिक शब्द देती है तथा उनमें इन विशेषता बताने वाले शब्दों को प्रयोग करने के लिए कहती है। अंत में शिक्षार्थियों का ध्यान आकर्षित करती है तथा कहती है कि ये शब्द 'विशेषण' कहलाते हैं। यह रणनीति क्या कहलाती है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDF- बालक के शब्दों एवं वाक्य प्रयोग के साथ ही भाषा को ग्रहण करने की क्षमता अर्जित होने लगती है।
- भाषा-अर्जन एक अवचेतन प्रक्रिया है, सभी बच्चों में भाषा-अर्जन की स्वभाविक क्षमता होती है।
- भाषा-अर्जन एक स्वभाविक प्रक्रिया है, भाषा-अर्जन बालक बिना विद्यालय जाये भी कर लेता है।
- इसमें बालक के सीखने की प्रक्रिया व्याकरणीय नियमों से पूर्णतः अनभिज्ञ रहती है।
- उपरोक्त विधि द्वारा शिक्षक बालको को व्याकरणिक नियमों से परिचित करा रहा है।
- शिक्षक द्वारा अपनाये गये उपागम में बालक शब्द 'विशेषण' के बारे में सचेत होते हैं।
अतः निष्कर्ष निकलता है कि उपरोक्त रणनीति सचेतना में वृद्धि करती है।
हिंदी में विज्ञान संबंधी पाठों को पढ़ाने का उद्देश्य है –
Answer (Detailed Solution Below)
विज्ञान के संदर्भ में हिदी भाषा-प्रयोग को समझना
भाषा शिक्षण के उपागम Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFभाषा मुख से उच्चारित होने वाली वह ध्वनि है जिसका प्रयोग मनुष्य अपने मन के विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए करता है। भाषा एक औजार है जिसका उपयोग मनुष्य जिंदगी से जुड़ने के लिए तथा जिंदगी के अनुभवों को साझा करने के लिए करता है।
'भाषा सभी विषयों का केंद्र है'।
Important Points
भाषा व्यापकता को दर्शाती है क्योंकि:-
- भाषा की शिक्षा केवल एक विशेष विषय में नहीं होती है।
- सभी विषयों का ज्ञान भाषा के माध्यम से ही बच्चों तक पहुंचता है।
- भाषा का शिक्षण पाठ्यक्रम के प्रत्येक विषयों के माध्यम से होता है।
- भाषा से भिन्न कोई विषय पढ़ने के दौरान बच्चे साथ साथ भाषा भी सीखते हैं।
- गणित और विज्ञान की पुस्तक, हिंदी भाषा के पाठयपुस्तक के रूप में भी कार्य करती है।
- भाषा-प्रयोग की समझ हम किसी भी विषय को पढ़ते हुए ले सकते हैं।
- प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी विषय के शिक्षण में भाषा का अध्ययन स्वाभाविक रूप से होता है।
अतः उपर्युक्य पंक्तियों से स्पष्ठ है कि उच्च प्राथमिक स्तर पर हिंदी भाषा की पाठ्य-पुस्तको में अन्य विषयों के पाठों को स्थान देने का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य विज्ञान के संदर्भ में हिदी भाषा-प्रयोग को समझना है।
पैटर्न को समझने के लिए अभ्यास एक पद्धति है, जिसे _______ द्वारा बढ़ावा मिलता है।
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFश्रव्य-भाषावाद विदेशी भाषा शिक्षण की एक विधि है जहां विशेष रूप से बोलने और सुनने के लिए व्याकरणिक और ध्वन्यात्मक संरचना सीखने पर जोर दिया जाता है । यह व्यवहारवाद पर आधारित है और इसलिए यांत्रिक पुनरावृत्ति के माध्यम से सीखने के आधार के रूप में गठन पर निर्भर करता है।
- प्रत्यक्ष विधि की तरह, ऑडियो-लिंगुअल पद्धति ने सलाह दी कि छात्रों को लक्षित भाषा में नए शब्दों या व्याकरण की व्याख्या करने के लिए छात्रों की मूल भाषा का उपयोग किए बिना सीधे एक भाषा सिखाई जानी चाहिए।
Key Points
- लिखने और पढ़ने के कौशल की उपेक्षा नहीं की जाती है, लेकिन पूरा ध्यान सुनने और बोलने पर ही रहता है। संवाद श्रव्य-भाषी पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषता है।
- संवाद भाषा की वस्तुओं को प्रस्तुत करने का मुख्य साधन हैं। यह शिक्षार्थियों को भाषा के बिट्स का अभ्यास और दोहराव का अवसर प्रदान करता है ताकि वे भाषा के पैटर्न को समझ सके।
- भाषा शिक्षण के लिए पैटर्न ड्रिल का उपयोग इस पद्धति के अनिवार्य भाग के रूप में किया जाता है। प्रत्यक्ष पद्धति के समान मातृभाषा को अधिक महत्व नहीं दिया जाता था , लेकिन इतनी सख्ती से इस पर जोर नहीं दिया जाता था।
अतः निष्कर्ष निकलता है कि पैटर्न को समझने के लिए अभ्यास एक पद्धति है, जिसे श्रव्यभाषावाद द्वारा बढ़ावा मिलता है।
अधिगम का कौन-सा मत इस बात में विश्वास रखता है कि मौखिक या अमौखिक भाषा आदत निर्माण की प्रक्रिया के माध्यम से आती है ?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण के उपागम Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF"अधिगम के स्कूल" शिक्षा के एक विशेष दृष्टिकोण, दर्शन या सिद्धांत को संदर्भित करता है जो मार्गदर्शन करता है कि शिक्षण और अधिगम को कैसे समझा और अभ्यास किया जाता है।
- ये ढाँचे उन तरीकों और रणनीतियों को आकार देते हैं जिनका उपयोग शिक्षक अधिगम को सुविधाजनक बनाने के लिए करते हैं, साथ ही उन लक्ष्यों और परिणामों को भी जिन्हें वे प्राथमिकता देते हैं।
Key Points
- अधिगम का व्यवहारवादी (बिहेवियरिस्ट) स्कूल, विशेष रूप से बी.एफ. स्किनर से जुड़ा हुआ, मानता है कि भाषा अधिग्रहण आदत निर्माण और सुदृढीकरण के माध्यम से होता है।
- व्यवहारवादी दृष्टिकोण बताता है कि सभी व्यवहार "कंडीशनिंग" नामक प्रक्रिया के माध्यम से पर्यावरण के साथ बातचीत के माध्यम से सीखे जाते हैं।
- यह अधिगम की प्रक्रिया में बाहरी उत्तेजनाओं और प्रतिक्रियाओं की भूमिका पर जोर देता है।
Hint
- संज्ञानात्मकवादी: यह विचारधारा समझ, स्मृति और समस्या-समाधान जैसी मानसिक प्रक्रियाओं पर केंद्रित है। यह मुख्य रूप से आदत निर्माण पर जोर नहीं देता है।
- अन्तःक्रियात्मकवादी: अन्तःक्रियात्मकवादी आदत निर्माण के बजाय भाषा के विकास में सामाजिक संपर्क और संचार की भूमिका पर जोर देते हैं।
- उपयोगितावादी (फंक्शनलिस्ट): उपयोगितावाद भाषा को आदत निर्माण प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय संचार और सामाजिक कार्य के लिए एक उपकरण के रूप में देखता है।
इसलिए, व्यवहारवादी (बिहेवियरिस्ट) दृष्टिकोण वह है जो मानता है कि भाषा सीखना आदत निर्माण के माध्यम से होता है।