भाषा शिक्षण के उपागम MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for भाषा शिक्षण के उपागम - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Mar 16, 2025

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Latest भाषा शिक्षण के उपागम MCQ Objective Questions

Top भाषा शिक्षण के उपागम MCQ Objective Questions

भाषा शिक्षण के उपागम Question 1:

शिक्षक संकेत के द्वारा से तीन लाल रंग के पेन और दो नीले रंग की पेंसिलों की ओर ध्यान आकर्षित करता/करती है I एक पेंसिल की ओर संकेत करके कहता/कहती है- 'यह पेंसिल नीली है।' फिर दो पेनों की तरफ़ संकेत करके कहता/कहती है- 'ये पेन लाल हैं।' फिर एक अपने हाथ में लेता/लेती है और पेंसिल अपनी जेब में डालते हुए कहता/कहती है- 'मेरे हाथ में एक पेन है और अब मैं पेंसिल अपनी जेब में रख रहा हूँ/ रही हूँ I' ये पूरी प्रक्रिया शिक्षण के किस उपागम का अनुपालन करती है?

  1. परिस्थिति आधारित उपागम
  2. संप्रेषण उपागम
  3. प्रदर्शन उपागम
  4. प्रत्यक्ष उपागम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : परिस्थिति आधारित उपागम

भाषा शिक्षण के उपागम Question 1 Detailed Solution

परिस्थिति आधारित उपागम- परिस्थिति आधारित उपागम में बालको को कक्षा में समस्या समाधान में शामिल करने के लिए एक परिस्थिति का निर्माण किया जाता है। बालक उस परिस्थिति का समाधान करते हुए ज्ञान अर्जित करते हैं।

Important Points

  • यह अमूर्त अवधारणाओं को प्रयोगात्मक अनुभव या निदर्शन द्वारा स्पष्ट करने में सहायता करता है।
  • परिचित परिस्थितियों से जोड़ कर अच्छी समझ एवं संदर्भित करने में सहायता करता है
  • बहु ज्ञानेन्द्रियों को प्रयोग करने का अवसर प्रदान करते है जैसे कि देखना, सुनना, छूना, सूंघना, स्वाद चखना इत्यादि। इस प्रकार जो सीखा जाता है अधिक समय तक बना रहता है।
  • कई प्रकार के शिक्षण-अधिगम के तरीकों का सम्मिश्र प्रयोग में लाया जाता है जिससे सृजनात्मकता तथा लचीलेपन को बढ़ावा मिलता है।
  • बच्चे के दृष्टिकोण से सीखने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है न कि बड़ों के दृष्टिकोण से।
  • समस्याओं एवं समाधानों को ढूंढ़ने की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाता है जिससे आत्म-सम्मान का विकास होता है।
  • विषय-वस्तु सिखाने के अलावा कई जीवन कौशल सिखाए जाते हैं।

अतः निष्कर्ष निकलता है कि उपरोक्त उपागम परिस्थिति आधारित उपागम है।

भाषा शिक्षण के उपागम Question 2:

किस साहित्यिक विधा को पढ़ाते समय आप सस्वर पठन पर अनिवार्यतः बल देंगे?

  1. जीवनी
  2. यात्रा-वृत्तान्त
  3. आत्मकथा
  4. एकांकी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : एकांकी

भाषा शिक्षण के उपागम Question 2 Detailed Solution

सस्वर पठन- स्वर सहित पढ़ते हुए अर्थ ग्रहण करने को सस्वर पठन कहते है।

एकांकी- एक अंक वाले नाटकों को एकांकी कहते हैं। इसमें एक विशेष उद्देश्य की अभिव्यक्ति करते हुए कम से कम समय में भावों के द्वारा अधिक से अधिक प्रभाव छोड़ने का प्रयास किया जाता है।एकांकी विधा के शिक्षण में सस्वर पठन सर्वाधिक अपेक्षित है।

Important Points

सस्वर पठन के उद्देश्य-

  • बालकों को शुद्धोच्चारण करने योग्य बनाना।
  • बालको को उचित गति और लय से पठन की योग्यता प्रदान करना।
  • बालको को ध्वनियों के उचित आरोह-अवरोह तथा विराम आदि चिन्हों को ध्यान में रखकर पठन में निपुण बनाना।
  • विषय वस्तु को पढ़कर अर्थ एवं भाव ग्रहण करने की योग्यता प्रदान करना।
  • शिक्षक को दृष्टि रखना कि बालक उचित भावानुकूल उतार-चढ़ाव के साथ पढ़ रहा है या नहीं।

अतः निष्कर्ष निकलता है कि एकांकी साहित्यिक विधा को पढ़ाते समय आप सस्वर पठन पर अनिवार्यतः बल देंगे।

Additional Information

जीवनी- किसी व्यक्ति विशेष का चरित्र चित्रण करना जीवनी कहलाता है।

आत्मकथा- लेखक द्वारा अपने ही जीवन का वर्णन करने वाली कथा को आत्मकथा करते है।

जीवनी और आत्मकथा एक ही व्यक्ति की घटनाों का वर्णन होती हैं अतः इनमें भावो का उतार चढ़व कम ही देखने को मिलता है।

संस्मरण- स्मृति के आधार पर किसी विषय अथवा किसी व्यक्ति पर लिखित आलेख संस्मरण कहलाता है।

भाषा शिक्षण के उपागम Question 3:

एक शिक्षिका छोटे बच्चों को शुरुआती वर्षों में नियंत्रण अथवा प्रोत्साहन के रूप में अपनी भाषा अर्जित करने के योग्य बनाती है और उसी के अनुरूप व्यवहार करने के लिए कहती है। वे ________ का अनुगमन कर रही है। 

  1. स्वयं करो रणनीति
  2. टोटल फ़िज़िकल रिस्पांस उपागम
  3. करके सीखना उपागम
  4. कहानी कथन पद्धति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : टोटल फ़िज़िकल रिस्पांस उपागम

भाषा शिक्षण के उपागम Question 3 Detailed Solution

टोटल फिजिकल रिस्पांस (टीपीआर) भाषा सिखाने की एक विधि है जिसे जेम्स एशर द्वारा विकसित किया गया था।

Key Points

  • यह भाषा और शारीरिक गति के समन्वय पर आधारित है।
  • टीपीआर में, प्रशिक्षक छात्रों को लक्षित भाषा में आदेश देते हैं, और छात्र पूरे शरीर की क्रियाओं के साथ प्रतिक्रिया देते हैं।
  • यह दृष्टिकोण विशेष रूप से दूसरी भाषा सीखने के शुरुआती चरणों में प्रभावी है, और अक्सर बच्चों के साथ इसका उपयोग किया जाता है।

इसलिए, यह स्पष्ट है कि शिक्षक टोटल फ़िज़िकल रिस्पांस उपागम का पालन कर रहा है।

Additional Information

  • "स्वयं करें रणनीति" एक स्व-सीखने की तकनीक है जहां छात्र प्रोजेक्ट या शोध करके स्वयं सीखते हैं। 
  • "करके सीखना उपागम" एक शैक्षिक दर्शन है जो सीखने में सक्रिय जुड़ाव, व्यावहारिक कार्यों और व्यावहारिक गतिविधियों को महत्व देता है।
  • "कहानी कथन पद्धति" में भाषा और अवधारणाओं को व्यक्त करने के लिए कहानियों का उपयोग शामिल है।

भाषा शिक्षण के उपागम Question 4:

विदेशी भाषा के शिक्षण में अनुक्रमणता का सिद्धांत क्या सम्मिलित नहीं करता?

  1. व्याकरणीय अनुक्रम
  2. शब्दावली अनुक्रम
  3. अर्थसंबंधी अनुक्रम
  4. ध्वनि संबंधी अनुक्रम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : ध्वनि संबंधी अनुक्रम

भाषा शिक्षण के उपागम Question 4 Detailed Solution

अनुक्रम का सिद्धांत- रचना की विषय वस्तु में कुछ क्रम होना चाहिए। इसको विचारों का असंबद्ध तरीके से संग्रहित नहीं करना चाहिए।

  • अनुक्रम का अर्थ है कि किसके बाद क्या आता है अर्थात शब्दों का एक क्रम में आना। अनुक्रम ध्वनियों (ध्वन्यात्मक अनुक्रम), वाक्यांशों (व्याकरणिक अनुक्रम) शब्दों (शाब्दिक अनुक्रम), और अर्थ (शब्दार्थ अनुक्रम) की व्यवस्था में होना चाहिए। संरचनाओं के अनुक्रम का तात्पर्य संरचनाओं की दिशा, विस्तार, भिन्नता और लंबाई से है।

Important Points

चयन और अनुक्रम:

  • पढायी जाने वाली विषय सामग्री का चेक विशेष अनुक्रम में चयन अच्छे शिक्षण की पहली आवश्यकता है।
  • भाषा सामग्री का चयन व्याकरणिक वस्तुओं और शब्दावली और संरचनाओं और अर्थसंबंधी अनुक्रम में होना चाहिए।
  • भाषा का चयन वस्तुओं में आवृत्ति शामिल होनी चाहिए (कितनी बार एक निश्चित वस्तु या शब्द का उपयोग किया जाता है) रेंज (किस विभिन्न संदर्भों में एक शब्द या एक वस्तु का उपयोग किया जा सकता है) कवरेज (कैसे कई अलग-अलग अर्थ एक शब्द या एक वस्तु व्यक्त कर सकते हैं) उपलब्धता (एक विषय सामग्री कितनी बार सिखाये जाने के लिए सुविधाजनक है)
  • सीखने की क्षमता (किसी वस्तु को सीखना कितना आसान है), सिखाने की क्षमता (विषय को पढ़ाना कितना आसान है - सामाजिक संदर्भ में)।
  • इसी तरह, भाषा सामग्री के अनुक्रम का अर्थ है भाषा की वस्तुओं को एक क्रम में रखना। ग्रेडिंग में समूह और क्रम शामिल हैं। समूहीकरण (i) भाषा की प्रणाली और (ii) इसकी संरचनाएँ।
  • भाषा प्रणाली को समूहीकृत करने का अर्थ है, ध्वनियों, शब्दों, वाक्यांशों और अर्थों को सिखाया जाना है।
  • ध्वनि संबंधी अनुक्रम का प्रयोग प्राथमिक स्तर की आरंभिक कक्षाओं में किया जाता है।
  • विदेशी भाषाओ का अध्ययन मात्रभाषा सीख लेने के बाद आता है, जिसमे ध्वनि संबंधी अनुक्रम आवश्यक नहीं है।

अतः निष्कर्ष निकलता है कि ध्वनि संबंधी अनुक्रम विदेशी भाषा के शिक्षण में अनुक्रमणता का सिद्धांत सम्मिलित नहीं करता।

भाषा शिक्षण के उपागम Question 5:

इनमे से किसके द्वारा बच्चो में भाषा शिक्षण का विकास किया जा सकता है?

  1. कंप्यूटर शिक्षण
  2. साहित्य शिक्षण
  3. A तथा B
  4. इनमे से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : A तथा B

भाषा शिक्षण के उपागम Question 5 Detailed Solution

साहित्य शब्द का अर्थ 'हित के साथ' है। अर्थ के आधार पर कहा गया है कि शब्द-अर्थ से युक्त हित करने वाली अर्थात्‌ शिवत्व की भावना से ओतप्रोत, सबके लिए कल्याणकारी रचना ही साहित्य है। इस प्रकार ऐसी कोई भी रचना जो रूचिपूर्ण, सरस तथा हृदय-स्पर्शी हो और किसी प्रकार से अशोभनीय, अमानवीय तथा अहितकर न हो, साहित्य की श्रेणी में आती हैं। साहित्य शिक्षण के उद्देश्य:

  • भाषा की शक्ति से परिचित कराना- भाषा की पूर्ण शक्ति का विकास साहित्य में परिलक्षित होता है। साहित्य-शिक्षण का उद्देश्य भाषा की अप्रतिम शक्ति से परिचित कराना होता है। साहित्य-शिक्षण द्वारा ही यह ज्ञान दिया जा सकता है कि कहाँ पर कैसी भाषा का प्रयोग किया जाए। यदि साहित्य में निहित संदेश तक पहुँचना है तो उसके लिए साहित्य के प्रति जागरूक होना अत्यन्त आवश्यक है। यही ऐसा क्षेत्र है जहाँ पाठक को सुपरिचित भाषिक प्रतीकों का अपरिचित प्रयोग मिलता है।
  • ज्ञान प्रदान करना - ज्ञान के संचित कोष को ही साहित्य कहा जाता है। व्यक्ति जीवन-पर्यन्त विभिन्‍न क्रियाओं के द्वारा ज्ञान प्राप्त करता है तथा साथ ही वह दूसरों के अनुभवों से भी बहुत कुछ सीखता रहता है। दूसरों के अनुभवों को ग्रहण करने का सर्वोत्तम साधन अनुकरण होता है। किन्तु प्रत्येक अनुभव का अनुकरण प्रत्यक्ष रूप से कर सकें, ऐसा सदैव संभव नहीं होता है। अनुभव प्रदान करने में साहित्य की विशेष भूमिका है। साहित्य के द्वारा ही दूसरे के अनुभवों को समझने की अर्न्तदृष्टि उत्पन्न होती है। साहित्य मानवीय प्रकृति के साथ ही मानवीय संबंधों को समझने में हमारे लिए सहायक है।
  • सौंदर्यबोध में सहायक- साहित्य का 'सुन्दर' के गुण से अभिभूत होना आवश्यक है। साहित्य मानव को उस 'सुंदर' की अनुभूति कराता है। समाज में जो भी सुन्दर है, साहित्य उससे साक्षात्कार कराता है। साहित्य काव्य-भाषा के वैशिष्ट्य के प्रति पाठक की जिज्ञासा विशिष्ट प्रयोगों के लिए उत्सुकता, इन प्रयोगों से उत्पन्न अर्थ-चमत्कार का बोध, भाषिक प्रयोगों के प्रति संवेदनशीलता तथा उन पर सही प्रतिक्रिया करने की क्षमता उत्पन्न करने के साथ-साथ ही प्रकृति के असीम सौन्दर्य की सौन्दर्यानुभूति भी कराता है।
  • सांस्कृतिक विकास में सहायक- जीवन में उत्थान हेतु संस्कृति का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है जिसे साहित्य द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। अपने देश व जाति का दर्शन हम संस्कृति के माध्यम से ही कर सकते हैं। संस्कृति के द्वारा ही हम अपनी परम्पराओं का ज्ञान प्राप्त कर उन्हें आत्मसात्‌ करने का प्रयास करते हैं। साहित्य हमारे नैतिक मार्गदर्शक के रूप में भी कार्य करता है।
  • मनोरंजन कराना- जिस समय हमारे अवकाश के क्षण होते हैं उस समय साहित्य हमारे एक अच्छे मित्र की भूमिका निभाता है। साहित्य की अनेक विधाएँ जैसे- कहानी, नाटक, उपन्यास, आदि हमारे लिए ज्ञानवर्धक तो होते ही हैं साथ ही समय व्यतीत करने का भी अच्छा साधन हैं। कहानी, उपन्यास, आदि के पात्रों के साथ पाठक अपनी भावनाएँ जोड़ लेता है तथा उनके सुख में सुखी तथा दुःख में दुख का अनुभव करने लगता है, यही भाव-तादातम्य है।
  • मानव जीवन से तादातम्य स्थापित कराना- साहित्य जीवन से उद्भूत होता है। यह रागात्मक अनुभूतियों की अभिव्यक्ति है। व्यक्तियों के सुख-दुख, आशा-निराशा, उत्थान-पतन सभी का प्रतिबिम्ब साहित्य में दिखाई देता है। जिसके साथ पाठक का सामंजस्य स्थापित हो जाता है। यही सामंजस्य उसे साहित्य में वर्णित पात्रों में तादातम्य स्थापित कराता है। जिसके कारण पाठक साहित्य के पात्र में अपनी झलक पाकर अपनी दिशा खोजने का प्रयास करता है, कभी उसके दुख में स्वयं रोकर अपना मन हल्का करता है तो कभी उसकी खुशी में स्वयं खुश होकर अपने हृदय को आहलादित करता है।
  • नैतिक मार्गदर्शन करना- साहित्य अच्छे-बुरे की पहचान करने में सक्षम बनाता है। वह जीवन-मूल्यों को आत्मसात्‌ करने की शिक्षा देने के साथ-साथ उन जीवन मूल्यों के प्रति विद्रोह की भावना भी जगाता है जो हमारे समाज के तथा वर्तमान युग के लिए विनाशकारी तथा अप्रासंगिक हैं। इस प्रकार साहित्य नैतिक मार्गदर्शक के रूप में भूमिका निभाने का प्रयास करता है।
  • कम्प्युटर इक्किसवीं सदी के शिक्षण कौशल विकास सामग्री के अन्तर्गत आता है। कंप्यूटर शिक्षण के माध्यम से इ-बुक्स द्वारा भी भाषा शिक्षण का विकास किया जा सकता है।

भाषा शिक्षण के उपागम Question 6:

भाषा अधिगम का रचनावादी उपागम किसे समुन्नत करता है?

  1. अध्यापक केन्द्रित उपागम
  2. शिक्षार्थी केन्द्रित उपागम
  3. चुप्पी की संस्कृति
  4. कक्षा में शोर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : शिक्षार्थी केन्द्रित उपागम

भाषा शिक्षण के उपागम Question 6 Detailed Solution

सीखने के लिए रचनावादी उपागम से पता चलता है कि बालक सक्रिय रूप से अपने ज्ञान का निर्माण हैं और यह वास्तविकता शिक्षार्थी के अनुभवों से निर्धारित होती है। एक रचनात्मक दृष्टिकोण सीखने के लिए एक दृष्टिकोण है जो यह सुझाव देता है कि बच्चों को उस दुनिया की अपनी समझ का निर्माण करना चाहिए जिसमें वह रहता है।

Key Points 

  • यह परिस्थितियों और परिस्थितियों की विविधता पर जोर देता है जिसमें बचपन का अनुभव होता है।
  • यह जिज्ञासा आधारित अधिगम पर विशेष बल देता है। बालको को जिज्ञासु बनाने के लिए सीखने की प्रक्रिया को पूर्व ज्ञान से जोड़ा जाता है।
  • रचनावादियों का मानना ​​है कि पूर्व ज्ञान सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है और यह ज्ञान के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।
  • सीखने के लिए एक रचनात्मक दृष्टिकोण महत्वपूर्ण सोच विकसित करता है और प्रेरित और स्वतंत्र रूप से दिमाग वाले शिक्षार्थियों का निर्माण करता है।
  • सीखने के लिए रचनात्मक दृष्टिकोण1 समाधान की शुद्धता के बजाय प्रक्रिया और अभ्यास पर निरंतर प्रतिक्रिया प्रदान करते हैं।
  • भाषा सीखने के लिए रचनात्मक दृष्टिकोण बाल-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।

अतः निष्कर्ष निकलता है कि भाषा अधिगम का रचनावादी उपागम शिक्षार्थी केन्द्रित उपागम को समुन्नत करता है। 

भाषा शिक्षण के उपागम Question 7:

निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए :

एक शिक्षक को भाषा पढ़ाते समय निम्न में से किस माध्यम का प्रयोग सर्वप्रथम करना चाहिए?

  1. पाठ्यपुस्तक का
  2. सामान्य बोलचाल का
  3. श्यामपट्ट का
  4. प्रश्न पूछने का ।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सामान्य बोलचाल का

भाषा शिक्षण के उपागम Question 7 Detailed Solution

भाषा अर्जन प्रक्रिया में बालक सुनकर, बोलकर, भाषा ग्रहण करता है तथा निरंतर परिमार्जन करता रहता है। भाषा सीखने की प्रक्रिया में भाषा अर्जन की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण होती है। सीखी हुई भाषा को समझने की क्षमता अर्जित करना तथा उसे दैनिक जीवन में प्रयोग में लाने को भाषा अर्जन कहते हैं।  
  • बच्चों को पढ़ाने के लिए सबसे पहला प्रभावी तरीका सामान्य बोलचाल में अनुभवों का वर्णन, बातचीत करना तथा संवाद-अदायनी होगा क्योंकि इन गतिविधियों के वर्णन के दौरान बच्चे:
    • वास्तविक अनुभव के साथ भाषाई कौशलों को सरलता से ग्रहण करते है।
    • तथ्यों को स्वयं के निजी अनुभवों से जोड़ कर अपने विचारों को अभिव्यक्त करते है।
    • स्वतंत्र एवं मौलिक अभिव्यक्ति के अवसर प्राप्त कर अपने विचारों को खुल कर रखते है।
    • भाषा अर्जन एक सहज एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें बच्चें घरेलू परिवेश में भाषा के नियमों को आसानी से आत्मसात् करते हैं।
    • भाषा अर्जन के माध्यम से  बालक अनुकरण द्वारा प्रथम भाषा सीख कर अपनी बातों को बोलचाल अर्थात घर की भाषा में आसानी से अभिव्यक्त कर पाता है।

अतः निष्कर्ष निकलता है कि एक शिक्षक को भाषा पढ़ाते समय सामान्य बोलचाल का सर्वप्रथम प्रयोग करना चाहिए।

भाषा शिक्षण के उपागम Question 8:

भाषा अधिगम में खिलौना आधारित शिक्षणशास्त्र को किसके माध्यम से समावेशित किया जा सकता है?

  1. खिलौनों का प्रयोग करते हुए रोल प्ले के माध्यम से।
  2. कक्षा में खिलौनों का कोना तैयार करने के माध्यम से।
  3. नैतिक मूल्य सिखाने के लिए खिलौनों का प्रयोग करने के माध्यम से।
  4. अपनी पसन्द के खिलौनों के चित्र बनाने के माध्यम से।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अपनी पसन्द के खिलौनों के चित्र बनाने के माध्यम से।

भाषा शिक्षण के उपागम Question 8 Detailed Solution

खिलौना आधारित शिक्षाशास्त्र एक शिक्षण-अधिगम सोच (अप्रोच) है जो 'खिलौनों और खेल के माध्यम से' सीखने पर आधारित है। सीखने के लिए खिलौनों और खेलों के एकीकरण का तात्पर्य यह है कि यहाँ 'खिलौने' और 'खेल' पाठ्यक्रम के केंद्र में हैं, जो नई अवधारणाओं को सरल बनाने में और स्पष्ट करने में मदद करता है।

  • अमूर्त अवधारणाओं को खिलौनों और खेलों के माध्यम से प्रभावी ढंग से आपस में जोड़ा और सीखा जा सकता है।
  • यह अनुभव सिद्धांत से जुड़कर शिक्षार्थी के लिए समग्र रूप से सीखने का एक अनुभव बन जाता है।
  • प्राथमिक स्तर पर भाषायी कौशलों का विकास भी खिलौना आधारित शिक्षाशास्त्र के माध्यम से किया जा सकता है।
  • बालको से उनके पसंदीदा खिलौनों के बारे में बात करके उनके बोलने के कौशल का विकास किया जा सकता है।
  • लेखन कौशल के आरंभ के लिए परिचालन कौशल का अभ्यास कराया जाता है।
  • परिचालन कौशल में बालक की अंगुलियों को लिखने के लिए तैयार किया जाता है।
  • इसके लिए बालक को चित्र बनाना, चित्रों में रंग भरने का अभ्यास, फूलों की माला बनाने का अभ्यास तथा लेखन सामग्री के उचित रख-रखाव का अभ्यास आदि कराया जाता है।
  •  प्राथनमिक स्तर पर लेखन को खिलौना आधारित शिक्षणशास्त्र के साथ समावेशित करने के लिए बालको से उनकी पसन्द के खिलौनों के चित्र बनाने के लिए कहा जा सकता है।

अतः निष्कर्ष निकलता है कि भाषा अधिगम में खिलौना आधारित शिक्षणशास्त्र को अपनी पसन्द के खिलौनों के चित्र बनाने के माध्यम से समावेशित किया जा सकता है।

Additional Information

  • खिलौनों का प्रयोग करते हुए रोल प्ले के माध्यम से। यह माध्यमिक स्तर पर उपयोग में लाया जाने वाला खिलौना आधारित शिक्षणशास्त्र का समावेशन है।

भाषा शिक्षण के उपागम Question 9:

कौन-सा उपागम शिक्षार्थियों में संप्रेषणात्मक दक्षता उत्पन्न करता है?

  1. संरचनात्मक उपगम 
  2. रचनावाद उपगम 
  3. संप्रेषणात्मक उपगम 
  4. कौशल आधारित उपगम 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : संप्रेषणात्मक उपगम 

भाषा शिक्षण के उपागम Question 9 Detailed Solution

संप्रेषणीय उपागम विशुद्ध रूप से भाषाई ज्ञान के विपरीत शिक्षार्थियों के बीच 'संवादात्मक क्षमता' (भाषा को प्रभावी व्यावहारिक उपयोग में लाने की क्षमता) विकसित करने का प्रयास करता है।

  • संप्रेषणीय दृष्टिकोण इस विचार पर आधारित है कि किसी भाषा को सफलतापूर्वक सीखना वास्तविक अर्थ को संप्रेषित करने के माध्यम से आता है।
  • जब शिक्षार्थी वास्तविक संचार में शामिल होते हैं, तो भाषा अधिग्रहण के लिए उनकी प्राकृतिक रणनीतियों का उपयोग किया जाएगा, और यह उन्हें भाषा सीखने और उपयोग करने की अनुमति देगा।

Key Points

  • संप्रेषणीय उपागम भाषा शिक्षण की एक विधि है जो शिक्षार्थियों को वास्तविक संप्रेषण में प्रभावशाली ढंग से शामिल करता है।
  • यह एक शिक्षार्थी-केंद्रित उपागम है जो शिक्षार्थी को प्राकृतिक वातावरण में भाषा सीखने में मदद करता है।
  • यह लेखन कौशल और संचार के व्याकरण संबंधी पहलुओं पर जोर देने के बजाय सीखने के लिए वास्तविक संचार के महत्व पर प्रकाश डालता है।
  • भाषाई क्षमता से तात्पर्य किसी व्यक्ति की लक्ष्य भाषा का ज्ञान रखने और उसी के उपयोग को समझने की क्षमता से है।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि संप्रेषणात्मक उपगम शिक्षार्थियों में संप्रेषणात्मक दक्षता उत्पन्न करता है।

Additional Information

संप्रेषणात्मक उपगम के गुण

  • शिक्षार्थी प्रवाह और सटीकता प्राप्त करते हैं।
  • जोड़ी और समूह कार्य शिक्षार्थियों के आत्मविश्वास का निर्माण करते हैं और सीखना रोचक बना देते है।
  • शिक्षार्थियों को कार्यों के माध्यम से भाषा का अभ्यास करने के पर्याप्त अवसर मिलते हैं।
  • सीखना प्रेरक और सार्थक होता है।

संप्रेषणात्मक उपगम के दोष

  • अध्यापन में शिक्षक की भागीदारी कम होती है।
  • यह दृष्टिकोण बड़ी कक्षाओं के साथ अच्छी तरह से काम नहीं कर सकता है।
  • यह दृष्टिकोण केवल उन्हीं शिक्षकों के साथ सफल होगा, जो अंग्रेजी में धाराप्रवाह और सटीक हैं।

Hint

  • संरचनात्मक उपागम- अक्षरों की बनावट, भाषायी आदतों के विकास तथा वाचन पर बल देती है।
  • रचनावाद उपगम- रचनावाद उपगम सामाजिक अन्तःक्रिया पर विशेष बल देता है।
  • कौशल आधारित उपगम- कौशल आधारित उपगम सुनने-बोलने, लिखने-पढ़ने सभी कौशलो को एकीकृत रूप से पढ़ाने पर बल देता है। 

भाषा शिक्षण के उपागम Question 10:

एक अध्यापक कक्षा तीन के शिक्षार्थियों को निर्देश देती है और शिक्षार्थी दी जा रही क्रियाओं का अनुसरण कर रहे हैं। अध्यापक किस उपागम का प्रयोग कर रही है?

  1. संरचनात्मक उपागम
  2. समग्र भौतिक प्रतिक्रिया उपागम
  3. उदारवादी उपागम
  4. रचनावाद उपागम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : समग्र भौतिक प्रतिक्रिया उपागम

भाषा शिक्षण के उपागम Question 10 Detailed Solution

शिक्षण विधियाँ शिक्षक द्वारा पढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है इनके अंतगर्त पढ़ाने की योजना तैयार की जाती है।विभिन्न शिक्षण विधियों का उपयोग शिक्षकों द्वारा छात्रों की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता है।

Important Points 

समग्र भौतिक प्रतिक्रिया उपागम:

  • यह विधि जेम्स आशेर द्वारा प्रतिपादित की गई है जो एक प्रयोगात्मक मनोवैज्ञानिक थे। छोटे बच्चे अपने प्रारंभिक वर्षों में आदेश या कार्य करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में अपनी भाषा सीखते हैं।
  • इस पद्धति में, छात्र श्रोताओं और प्रदर्शक के रूप में सक्रिय भूमिका निभाते हैं, शारीरिक क्रिया के साथ अनिवार्य अभ्यासों का जवाब देते हैं।
  • उदाहरण के लिए, कविता "थोड़ा कूदो, थोड़ा कूदो" में वे आदेश शामिल हैं जिनके लिए भौतिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है।
  • इसलिए, शिक्षक कविता पढ़ाते समय शारीरिक है। प्रतिक्रिया प्रदर्शित करता है, और छात्र भी इसे आरंभ करते हैं।
  • जितनी जल्दी हो सके कमांड की प्रतिक्रिया के रूप में बच्चों के मोटर कौशल का उपयोग करने का यह सबसे अच्छा तरीका है।
  • यह विधि युवा शिक्षार्थियों के लिए भाषा के सभी पहलुओं को आगमनात्मक और सक्रिय रूप से सीखने में सहायक है।
  • यह विधि संचार शिक्षण के अंतर्गत आती है जहां शिक्षक आदेश देता है, छात्रों को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है, और उनके साथ लयबद्ध तरीके से संवाद करता है। यह एक मजेदार और आनंददायक गतिविधि है।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि एक अध्यापक कक्षा तीन के शिक्षार्थियों को निर्देश देती है और शिक्षार्थी दी जा रही क्रियाओं का अनुसरण कर रहे हैं। अध्यापक समग्र भौतिक प्रतिक्रिया उपागम का प्रयोग कर रही है। 

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