भाषायी कौशलों का विकास MCQ Quiz - Objective Question with Answer for भाषायी कौशलों का विकास - Download Free PDF
Last updated on May 13, 2025
Latest भाषायी कौशलों का विकास MCQ Objective Questions
भाषायी कौशलों का विकास Question 1:
पठन में 'अर्थगत् संकेत (सीमेंटिक क्यू)' इस तरह के अवबोधक है जो
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 1 Detailed Solution
पढ़ने में, शिक्षार्थी पाठ को समझने और व्याख्या करने के लिए विभिन्न प्रकार के संकेतों का उपयोग करते हैं। इनमें अर्थ-आधारित (सीमेंटिक क्यू), वाक्य-विन्यास-आधारित (व्याकरण-आधारित) और ग्राफोफोनिक (ध्वनि-अक्षर-आधारित) संकेत शामिल हैं। Key Points
- अर्थ-निर्धारण संकेत वे संकेत हैं जो अर्थ-निर्माण प्रक्रिया का समर्थन करते हैं।
- वे पाठकों को संदर्भ, पूर्व ज्ञान और विषय की समग्र समझ के आधार पर किसी शब्द, वाक्य या अनुच्छेद का अर्थ समझने में सहायता करते हैं।
- उदाहरण के लिए, वाक्य “बिल्ली ने ___ का पीछा किया” में, पाठक तार्किक संदर्भ और अनुभव के आधार पर अर्थ संकेतों का उपयोग करके चूहा शब्द का अनुमान लगा सकता है।
Hint
- व्याकरणिक रूप की पहचान में वाक्यविन्यास संबंधी संकेत शामिल होते हैं।
- शब्दों और उच्चारण को समझना ध्वनिविज्ञान और ग्राफोफोनिक संकेतों से संबंधित है, अर्थविज्ञान से नहीं।
अतः सही उत्तर यह है कि अर्थ-ग्रहण की प्रक्रिया में सहायता करते हैं।
भाषायी कौशलों का विकास Question 2:
उपन्यास पढ़ना किसका उदाहरण है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 2 Detailed Solution
पठन को उद्देश्य के आधार पर अलग-अलग प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि विस्तार से पढ़ना, सामान्य समझ या विशिष्ट जानकारी के लिए पढ़ना। प्रत्येक प्रकार शिक्षार्थियों में अलग-अलग पढ़ने के कौशल विकसित करने में मदद करता है। Key Points
- उपन्यास पढ़ना व्यापक पठन का एक उदाहरण है। इस प्रकार के पढ़ने में विशिष्ट विवरण या भाषा संरचनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय सामान्य समझ, आनंद या समग्र अर्थ के लिए लंबे पाठों के साथ जुड़ना शामिल है।
- यह संदर्भ में भाषा के स्वाभाविक प्रदर्शन के माध्यम से शब्दावली, पढ़ने की प्रवाहशीलता और समझ को बेहतर बनाने में मदद करता है।
- कक्षा के बाहर या लंबे समय तक पढ़े जाने वाले उपन्यास, कहानियां और लेख आमतौर पर व्यापक पढ़ाई का हिस्सा होते हैं।
Hint
- बारीकी से पठन (स्कैनिंग) से तात्पर्य विशिष्ट जानकारी (जैसे, दिनांक, नाम) की खोज से है।
- सरसरी तौर पर पठन (स्किमिंग) में पाठ का सार या मुख्य विचार समझने के लिए उसे शीघ्रता से पढ़ना शामिल है।
- गहन पठन (इंटेंसिव रीडिंग) में गहन समझ और भाषा विश्लेषण के लिए ध्यानपूर्वक पढ़े गए छोटे पाठों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
अतः सही उत्तर विस्तृत पठन (एक्सटेंसिव रीडिंग) है।
भाषायी कौशलों का विकास Question 3:
लेखन के विभिन्न चरणों से गुजरकर लेखन अधिगम क्या कहलाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 3 Detailed Solution
लेखन में ऐसे शब्दों, अक्षरों और वर्णमालाओं का निर्माण शामिल है जो अपने आप में ग्राफ़िक्स हैं और उन्हें अच्छी तरह से बनाने के लिए कुछ विशिष्ट कौशल की आवश्यकता होती है। लेखन भाषा कौशल में से एक है जो भाषण ध्वनियों के ग्राफ़िकल प्रतिनिधित्व को संदर्भित करता है।
Key Points
- लेखन के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण हैं और 'प्रक्रिया उपागम' उनमें से एक है। प्रक्रिया दृष्टिकोण में, शिक्षार्थी एक अच्छा लेखन विकसित करने के लिए चरणों से गुजरते हैं।
- यह एक अद्वितीय/रचनात्मक लेखन तैयार करने में शामिल चरणों पर ध्यान केंद्रित करता है और अंतिम पाठ तैयार करने से पहले पाठ को संशोधित करने, संपादित करने और तैयार करने पर जोर देता है।
Important Points
लेखन की प्रक्रिया उपागम में शामिल चरण हैं:
- प्रक्रिया दृष्टिकोण में आरंभ में एक विचार-मंथन सत्र शामिल होता है, जहां सभी संबंधित व्यक्ति एक साथ बैठते हैं, कार्य को पूरा करने के तरीकों के बारे में सोचते हैं, विफलता की सभी संभावनाओं को सूचीबद्ध करते हैं, तथा एक मार्ग तैयार करते हैं।
- इसके बाद रूपरेखा बनाने की प्रक्रिया आती है। यह एक ऐसा कार्य है जिसमें एक रूपरेखा या रूपरेखा तैयार की जाती है ताकि प्रारंभिक समग्र चित्र सभी के लिए दृश्यमान हो सके।
- इसके बाद तैयार किए गए प्रारूप को संशोधित करने और यदि कोई त्रुटि हो तो उसे हटाने की प्रक्रिया आती है, ताकि प्रक्रिया के विफल होने की कोई संभावना न रहे।
- अगला आता हैप्रूफरीडिंग , यह पहले ड्राफ्ट की शब्द दर शब्द या पंक्ति दर पंक्ति सावधानीपूर्वक समीक्षा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सब कुछ वैसा ही है जैसा होना चाहिए।
- अंत में, प्रक्रिया को प्रस्तुत करने योग्य बनाने या अधिकतम आउटपुट/उपलब्धि को अनुकूलित करने के लिए अंतिम प्रारूप लिखा जाता है।
अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि लेखन के विभिन्न चरणों से गुजरकर लिखना सीखना लेखन के प्रक्रिया उपागम के रूप में जाना जाता है।
Hint
- रचनात्मक लेखन लेखन का एक ऐसा रूप है जिसमें अद्वितीय विचार बनाने की बात की जाती है जो कल्पनाशील और अभिनव होते हैं। यह विद्यार्थियों की विकल्पों के साथ आने की क्षमता में सुधार करता है।
- लेखन का उत्पाद उपागम एक लेखन उपागम है जो लेखन कार्य के अंतिम उत्पाद पर केंद्रित होता है जिसमें छात्र एक लेखन आदर्श पाठ की नकल करते हैं।
भाषायी कौशलों का विकास Question 4:
लघु कथा कहते समय 'पठन के दौरान' की कौन-सी गतिविधि होगी?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 4 Detailed Solution
पठन गतिविधियों को प्रायः तीन चरणों में विभाजित किया जाता है: पठन-पूर्व, पठन-समय तथा पठन-पश्चात।
- पाठ्य-वस्तु के वास्तविक पठन के दौरान ही पठन-पाठन गतिविधियां संचालित की जाती हैं और इनका उद्देश्य समझ को बढ़ावा देना, संलग्नता बनाए रखना और विषय-वस्तु के साथ अंतर्क्रिया को प्रोत्साहित करना होता है।
Key Points
- जोड़े में काम करना और एक-दूसरे को पढ़कर सुनाना, पढ़ते समय की एक प्रभावी गतिविधि है। इस विधि में छात्र सक्रिय रूप से पाठ के साथ जुड़ते हैं और साथ मिलकर उसे जोर से पढ़ते हैं।
- यह सहयोग, साझा समझ और संदेहों के तत्काल समाधान को बढ़ावा देता है। जोड़े में पढ़ने से, शिक्षार्थियों को उच्चारण का अभ्यास करने, ध्यान से सुनने और कहानी के प्रवाह को समझने में एक-दूसरे की सहायता करने का अवसर भी मिलता है।
- यह उन्हें पढ़ने की पूरी प्रक्रिया में शामिल रखता है और प्रवाह और आत्मविश्वास का निर्माण करता है। यह बातचीत सुनिश्चित करती है कि शिक्षार्थी चौकस रहें और कहानी को समझें क्योंकि यह आगे बढ़ती है।
Hint
- कवि के जीवन-वृत्तांत पर चर्चा करना एक पूर्व-पठन गतिविधि है, क्योंकि इससे पाठ से जुड़ने से पहले पृष्ठभूमि ज्ञान का निर्माण होता है।
- शिक्षक द्वारा नए शब्दों के अर्थ पूछना और वाक्य रचना करना अक्सर पढ़ने के बाद शब्दावली पर केन्द्रित कार्य होता है।
- कहानी में होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी शिक्षार्थियों द्वारा आम तौर पर पढ़ने से पहले या महत्वपूर्ण विरामों पर की जाती है, जिससे यह एक पूर्व-पठन रणनीति बन जाती है।
अतः सही उत्तर है कि शिक्षार्थी दो-दो के जोड़ों में पठन करते हैं और एक-दूसरे को पढ़कर सुनाते हैं।
भाषायी कौशलों का विकास Question 5:
एक श्रोता किसी बात को सुनते समय, विशेष या सूक्ष्म विवरणों को सुनता है तथा समस्रोतीय शब्दों (कॉगनेट्स) और शब्द-क्रम प्रतिमानों की पहचान करता है। इस श्रवण प्रक्रिया को किस रूप में जाना जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 5 Detailed Solution
श्रवण एक जटिल कौशल है जिसमें ध्वनियों को समझना, अर्थ समझना और संदर्भ की व्याख्या करना शामिल है। भाषा सीखने में दो प्रमुख सुनने की प्रक्रियाओं की पहचान की गई है: नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे। Key Points
- बॉटम-अप प्रक्रिया का उपयोग तब किया जाता है जब एक श्रोता विशिष्ट विवरणों जैसे व्यक्तिगत शब्दों, ध्वनियों, व्याकरणिक संरचनाओं और शब्द क्रम पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करता है।
- इस प्रक्रिया में, समझ की शुरुआत ध्वनि की छोटी इकाइयों (ध्वनि और शब्द) को समझने से होती है और अंततः संपूर्ण वाक्य और अर्थ को समझने तक विकसित होती है।
- समानार्थी शब्दों (दो भाषाओं में समान शब्द) को पहचानना, सटीक शब्द क्रम को नोट करना, तथा विशिष्ट भाषाई संकेतों की पहचान करना, ये सभी इस पद्धति का हिस्सा हैं।
Hint
- निष्कर्षात्मक प्रक्रिया में दिए गए विवरण से परे निष्कर्ष निकालना शामिल है और यह निहित अर्थों की व्याख्या से अधिक जुड़ा हुआ है।
- रेखीय प्रक्रिया से तात्पर्य सीधे अनुक्रम में सूचना को संसाधित करने से है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं करता है कि विवरणों से समझ कैसे बनती है।
- टॉप-डाउन प्रक्रिया व्यक्तिगत शब्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, श्रोता के पृष्ठभूमि ज्ञान, संदर्भ और संदेश को समझने की अपेक्षाओं से शुरू होती है।
अतः सही उत्तर बॉटम-अप प्रक्रिया है।
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लिखने की क्षमता का विकास बोलने, सुनने और पढ़ने की क्षमता की संगति में होना चाहिए। यह विचार-
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFमानव अपने विचारों का आदान प्रदान मुख्य रूप से चार प्रक्रियाओं यथा सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना द्वारा करता है। भाषा से संबंधित इन चारो प्रक्रियाओं को सहज प्रयोग करने की क्षमता ही भाषा कौशल कहलाती है।
- भाषा के इन विभिन्न कौशलों को एकीकृत रूप में पढ़ाने की अनुशंसा की जाती है क्योंकि ये चारो कौशल एक दूसरे से अतःसंबंधित होते हैं।
- यहां सुनना और पढ़ना विचारों को ग्रहण करने से तथा बोलना और लिखना विचारों को अभिव्यक्त करने से संबंधित है।
- लिखने की क्षमता का विकास बोलने, सुनने और पढ़ने की क्षमता की संगति में होना चाहिए क्योंकि ये चारो भाषाई क्षमतायें एक दूसरे से अतःसंबंधित होती हैं तथा मानव में भाषाई विकास के विस्तार को आवश्यक गति प्रदान करती हैं।
- श्रवण कौशल: इसका अर्थ है सुनकर भावग्रहण करना | यह एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमे ध्यानपूर्वक सुनने, सुनी हुई बातो पर चिंतन मनन करने जैसी जटिल प्रक्रियाए है|
- मौखिक कौशल: अपने भावो को सार्थक शब्दों में बोलकर व्यक्त करना इसमें शामिल होता है | इसमें शुद्ध उच्चारण, उचित गति, हाव-भाव, विचार क्रमबद्धता, और नि:संकोच भवव्यक्ति जैसे पक्ष होते है |
- पठन कौशल: इसमें लिपि प्रतिको की पहचान करना, उच्चारण करना, अर्थ ग्रहण करना जैसी योग्यता का समावेश है |
- लेखन कौशल' भाषाई कौशल का लिखित अभिव्यक्त रूप है। यह भावों और मौलिक विचारों को अर्थपूर्ण तरीके से लिखित रूप देने से संबंधित है।
अतः उपर्युक्य पंक्तियों से स्पष्ठ है कि, "लिखने की क्षमता का विकास बोलने, सुनने और पढ़ने की क्षमता की संगति में होना चाहिए।" यह विचार पूर्णत: सत्य है।
वाणी अस्थायी होती है और ____ भाषा की तुलना में काफी तेजी से बदलती रहती है।
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF- मनुष्य अपने मन से जो कुछ भी सोचता है विचार करता है या अनुभव करता है वह भाषा द्वारा ही व्यक्त होता है इस प्रकार व्यक्त वाणी को भाषा कहते है।
- एक विद्यार्थी द्वारा दो तरह से भाषा सीखी जा सकती है- भाषा अर्जन और भाषा अधिगम:-
- भाषा अर्जन- इस प्रक्रिया में बालक सुनकर, बोलकर, भाषा ग्रहण करता है तथा निरंतर परिमार्जन करता रहता है। भाषा सीखने की प्रक्रिया में भाषा अर्जन की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण होती है। अर्जन में सामान्यतः अनुकरण की प्रवत्ति दिखाई देती है।
- भाषा अधिगम- अधिगम शब्द दो शब्द के मेल से बना है 'अधि' तथा 'गम'। यहाँ 'अधि' का अर्थ है 'भली प्रकार' तथा 'गम' का अर्थ है 'जानना'। अर्थात किसी बात या विषय के समीप अच्छी तरह जाना और उसकी भली भांति जानकारी प्राप्त करना।
- वाणी अस्थायी होती है और लिखित भाषा की तुलना में काफी तेजी से बदलती रहती है।
- भाषा के विभिन्न स्वरूपों में लिखित भाषा सर्वश्रेष्ठ है| लिखित भाषा में समय और स्थान पार करने की क्षमता होती है जबकि वाणी समय और स्थान के साथ बदलती रहती है |
अतः उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि वाणी अस्थायी होती है और लिखित भाषा की तुलना में काफी तेजी से बदलती रहती है।
प्राथमिक स्तर पर पढ़ना सीखने में सबसे कम महत्त्वपूर्ण है
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF- कोलर्स के अनुसार- पढ़ते समय हम शब्दों का अनुमान लगाते हुए चलते हैं।
- पठन का मुख्य उद्देश्य किसी अवतरण के विचार को आत्मसात् करना है। यह महत्वपूर्ण विचारों पर ध्यान केंद्रित करने का तरीका है।
- ऐसे कई प्रयोगों के आधार पर कई भाषा वैज्ञानिकों का विचार है कि अक्षर पहचान और पढ़ने में जमीन आसमान का अंतर है।
- दरअसल, पढ़ने का मतलब अक्षरों से जुड़ी ध्वनियाँ पैदा करना न होकर लिखी हुई चीज का अर्थ निकालना है।
- पढ़ने को हम जब इस व्यापक अर्थ में लेते हैं तो स्पष्ट है कि कई विद्यार्थी जो उच्चारण शायद कर भी लेते हों, सही अर्थों में पढ़ नहीं पाते हैं।
- अन्य कई भाषा वैज्ञानिकों का मानना है कि पढ़ना सीखने का सर्वोत्तम तरीका पढ़ना ही है- पढ़कर ही पढ़ना सीखा जा सकता है।
- साइकिल और उसे चलाने के बारे में बारीक जानकारी हासिल करने का यह अर्थ नहीं कि उक्त व्यक्ति साइकिल चला भी लेगा।
- साइकिल चलाना तो उस पर चढ़कर ही सीखा जा सकता हैं।
पढ़ने का संबंध _____ से है।
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFमानव अपने विचारों को सुनकर, बोलकर, पढ़कर और लिखकर अभिव्यक्त करता है, भाषा से संबंधित इन चारो प्रक्रियाओं को प्रयोग करने की क्षमता ही भाषा कौशल कहलाती है। यहां सुनना और पढ़ना विचारों को ग्रहण करने से तथा बोलना और लिखना विचारों को अभिव्यक्त करने से संबंधित है।
- पठन कौशल: इसमें लिपि प्रतिको की पहचान करना, उच्चारण करना, अर्थ ग्रहण करना जैसी योग्यता का समावेश है।
- पढ़ने की प्रक्रिया में अनेक कुशलताएँ शामिल हैं, जैसे – अक्षर-ध्वनि संबंध बना पाना, भाषा विशेष की संरचनागत विशेषताओ को समझ पाना, संदर्भ और अपने पर्व अनभुवों के आधार पर मुद्रित सामग्री से अर्थग्रहण करना।
- पढ़ने की इस पूरी प्रक्रिया में जो सबसे महत्वपूर्ण तत्व अर्थ है।
- दरअसल पढ़ने की प्रक्रिया तभी से शरू हो जाती है जब बच्चे अपने परिवेश में उपलब्ध प्रिंट या लिखित को पहचानते हैं। अर्थात चित्रों को पढ़ना यानी उनका वरन करना भी एक तरह से पढ़ना ही है।
- इससे यह तय है कि पढ़ना केवल लिपि-चिह्नों को पहचानने और उन्हें उच्चरित करने की प्रक्रिया नहीं है।
अतः उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि पढ़ने का संबंध अर्थ से है।
लिखित सामग्री को मन ही मन बिना आवाज किए चुपचाप पढ़ना कहलाता है
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFलिखित भाषा को पढने की क्रिया को पठन कौशल कहा जाता है जैसे पुस्तकों को पढ़ना, समाचार पत्रों को पढ़ना आदि भाषा के संदर्भ में पढ़ने का अर्थ कुछ भिन्न होता है।भाव और विचारो को लिखित भाषा के माध्यम से पढ़कर समझने को पठन कहा जाता है।
Important Points
मौन पठन, पठन का एक प्रकार जिसमें लिखित सामग्री को बिना आवाज किए भावार्थ को समझते हुए पढ़ना शामिल होता है। इसमें बच्चे मुख्य रूप से साहित्य, पत्रिकाएं, उपन्यास, हास्य पुस्तकें आदि का पाठ कर सूचनाएं प्राप्त करते हैं। मौन वाचन, पठन का एक प्रकार जिसमें:
- पठित वस्तु के अर्थग्रहण के कौशल के विकास पर बल दिया जाता है।
- पाठ्य सामग्री को बिना उच्चारण के भावार्थ को समझते हुए पढ़ना शामिल होता है।
- नेत्र और मस्तिष्क दोनो सक्रिय होते हैं तथा यह स्वाध्याय की रुचि जागृत करने में सहायक होता है।
- मुख्य रूप से आत्मकथा, जीवनी, यात्रावृत्तांत और निबंध आदि को विशिष्ट रूप से अर्थग्रहण करते हुए पढ़ा जाता है।
Key Points
सस्वर वाचन |
यह बच्चों द्वारा पाठ को स्वर सहित पढ़ने से सम्बन्धित है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों में वाचन कौशल का विकास करना होता है। |
अनुकरण वाचन |
यह कक्षा में शिक्षक के वाचन के उपरांत बच्चों द्वारा उसको दोहराया जाने से सम्बन्धित है। |
समवेत/सामूहिक वाचन |
यह एक समूह में बच्चों के द्वारा पठन से सम्बन्धित है। |
अतः यह कहा जा सकता है कि मौन वाचन लिखित सामग्री को मन ही मन बिना आवाज किए चुपचाप पढ़ना कहलाता है।
उच्च प्राथमिक स्तर पर समझकर पढ़ने के संदर्भ में सर्वाधिक महत्तवपूर्ण है
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFउच्च प्राथमिक स्तर पर हिंदी भाषा शिक्षण का महत्वपूर्ण उद्देश्य बच्चों को हिंदी भाषा के विविध स्वरूपों की जानकारी देना है। हिंदी भाषा शिक्षण का उद्देश्य विविध साहित्यिक विधाओं से बच्चों को परिचित करा के उन्हें अपने अनुभवों के आधार पर विभिन्न संदर्भों में भाषा प्रयोग में सफल बना।
Key Points
- भाषा के चार मुख्य कौशल सुनना, बोलना, पढ़ना तथा लिखना है। इन कौशलों के प्रयोग के द्वारा ही मानव अपने विचारों का सरलतापूर्वक आदान प्रदान करता है।
- पढ़ना अथवा पठन भाषा के चार कौशलों में से एक है। यह एक उद्देश्यपूर्ण एवम् चिंतन प्रधान प्रक्रिया है जिसमें भाषा की संरचना की समझ तथा पढ़े जा रहे पाठ के साथ विद्यार्थी के भावनात्मक संबंध द्वारा अर्थ ग्रहण पर बल दिया जाता है।
- समझकर पढ़ने के संदर्भ में सर्वाधिक महत्तवपूर्ण किसी लिखित सामग्री का निहितार्थ समझना है।
- समझकर पढ़ने का मुख्य उद्देश्य बच्चों को लिखित सामग्री के साथ जुड़ने में मदद तथा उन्हें अनुभव दिलाना है।
- समझकर पढ़ने का मतलब सोचने की एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया से होता है।
अतः उपर्युक्य पंक्तियों से स्पष्ठ है कि उच्च प्राथमिक स्तर पर समझकर पढ़ने के संदर्भ में सर्वाधिक महत्तवपूर्ण किसी लिखित सामग्री का निहितार्थ समझना है।
विद्यार्थियों की पढ़ने में रुचि जगाने एवं भाषा-ज्ञान में वृध्दि के लिए पाठ्य-पुस्तक के अतिरिक्त _______।
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFभाषा मुख से उच्चारित होने वाली वह ध्वनि है जिसका प्रयोग मनुष्य अपने मन के विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए करता है। बच्चों में भाषा ज्ञान में वृद्धि से तात्पर्य उन्हें विभिन्न संदर्भ में भाषा प्रयोग में सफल बनाना है ताकि वे दक्षता के साथ सहज अभिव्यक्ति के विकास को सुनिश्चित कर सकें।
विद्यार्थियों की पढ़ने में रुचि जगाने एवं भाषा-ज्ञान में वृद्धि के लिए पाठ्य-पुस्तक के अतिरिक्त अन्य पठन सामग्री जैसे समाचार पत्र, जीवनियां, बाल साहित्य, उपन्यास, आदि का उपयोग करना सार्थक प्रयास होगा क्योंकि:
- समाचार पत्र तथा जीवनियां विद्यार्थियों को वास्तविक जीवन से जोड़ के उनके भाषाई विकास को विस्तार देती है।
- बाल साहित्य की रोचक तथा चित्रात्मक कहानियां विद्यार्थियों में सजगता तथा सृजनशीलता को बढ़ाते हुए उन्हें पढ़ने की और उन्मुख करती है।
- उपन्यास विद्यार्थियों को भाषा एवम् शैली के विभिन्न रूपों से परिचित करा कर उनकी कल्पनाशक्ति और अंतर्दृष्टि को विभिन्न मामलों में बढाता है।
अतः, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विद्यार्थियों की पढ़ने में रुचि जगाने एवं भाषा-ज्ञान में वृध्दि के लिए पाठ्य-पुस्तक के अतिरिक्त पठन सामग्री विकसित की जा सकती है।
- पढ़ने में रूचि जाग्रत करने के लिए बालक के स्तर और रूचि की अतिरिक्त पठन सामग्रई जैसे बाल साहित्य उपलब्ध कराये जाने चाहिए।
- पाठ्य सहगामी क्रिया ओं का आयोजन बालक के सर्वांगीर्ण विकास के लिए होता है ना कि केवल पठन में रूचि जाग्रत करने के लिए जैसे- चर्चा का आयोजन कविता पठन तथा कहानी लेखन आदि का आयोजन आदि।
किसी पाठ्य सामग्री से कोई विशिष्ट सूचना निकालने के उद्देश्य से उस पाठ्य सामग्री के किसी अंश को बारीकी और गहनता के साथ पढ़ने का कौशल कौन-सा अवबोधन कहलाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFमौन पठन, पठन का एक प्रकार जिसमें लिखित सामग्री को बिना आवाज किए भावार्थ को समझते हुए पढ़ना शामिल होता है। यह दो प्रकार का होता है - स्थानीय अवबोधन/गहन पठन और वैश्विक अवबोधन/ द्रुत पठन।
स्थानीय अवबोधन/गहन पठन
- स्थानीय अवबोधन या गहन पठन का संबंध सीखने से है, यह विषय को गहराई से समझने के लिए या कई बार किसी पाठ्य सामग्री से कोई विशिष्ट सूचना निकालने के लिए किये गये पठन से संबंधित है।
- विशेष तथ्यों को समझने के लिए गहन पठन की आवश्यकता होती है, जैसे किसी विशेष सूचना की जानकारी के बारे में पढ़ना।
- नौकरी संबंधी विज्ञापन में दी गयी सूचना का पठन इसके अन्तर्गत आता है।
अतः निष्कर्ष निकलता है कि स्थानीय अवबोधन सही उत्तर है।
Hint
- इस प्रश्न का आधिकारिक उत्तर 'आनुमानिक अवबोधन' है। हालाँकि, 'स्थानीय अवबोधन' सबसे उपयुक्त उत्तर होगा क्योंकि 'आनुमानिक अवबोधन' मूलपाठ में उपलब्ध सुरागों से अर्थ निकालने को संदर्भित करता है क्योंकि शब्द 'अनुमान' का अर्थ है किसी चीज़ को तर्क से प्राप्त करना जबकि स्थानीय अवबोधन कोई विशिष्ट सूचना खोजने पर केंद्रित है। .
रविन समाचारपत्र में एक लेख पढ़ता है जिससे कि वह अगले दिन अपने समूह में उस पाठ्य-वस्तु का संपूर्ण विचार प्रस्तुत कर सके।
उसके इस पठन को किस रूप में जाना जाता है।
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFमौन पठन, पठन का एक प्रकार जिसमें लिखित सामग्री को बिना आवाज किए भावार्थ को समझते हुए पढ़ना शामिल होता है। यह दो प्रकार का होता है-
व्यापक या द्रुत पठन
- व्यापक या द्रुत पठन में पाठक अपनी रुचि के विषय की सामान्य समझ प्राप्त करने के लिए केवल सरसरी दृष्टि से कई प्रकार की पुस्तकों, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं आदि को पढ़ता है।
- द्रुत पठन मस्ती, मनोरंजन और आनंद के लिए पढ़ा जाता है, साथ ही किसी चीज़ की बुनियादी समझ हासिल करने के लिए।
- बालक द्वारा अपने रूचिकर उपन्यास को पढ़ने में मौन पठन (द्रुत पठन) का उपयोग करता है।
- किसी पठन सामग्री से मात्र संकेत लेना भी सरसरी दृष्टि से पठन है और यह द्रुत पठन के अन्तर्गत आता है। जैसे- समाचारपत्र पठन
- रविन केवल संकेत लेने के लिए समाचारपत्र में लेख को पढ़ता है।
गहन पठन
- इसके विपरीत, गहन पढ़ने का संबंध कक्षा सीखने से है, जिसमें छात्र को विषय को गहराई से समझने के लिए कई बार कुछ पाठ पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है।
- विशेष तथ्यों को समझने के लिए गहन पठन की आवश्यकता होती है, जैसे किसी विशेष सूचना की जानकारी के बारे में पढ़ना।
- नौकरी संबंधी विज्ञापन में दी गयी सूचना का पठन इसके अन्तर्गत आता है।
अतः निष्कर्ष निकलता है कि रविन सरसरी तौर पर पठन कर रहा है।
प्राथमिक स्तर के बच्चों में _______ और _______ के माध्यम से लेखन कौशल का विकास किया जा सकता हैI
Answer (Detailed Solution Below)
भाषायी कौशलों का विकास Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF- प्राथमिक स्तर पर बच्चों द्वारा बनाई गई आड़ी-तिरछी रेखाएँ अपने आप में लेखन है।
- अक्षर बनाने से पहले बालक को आड़ी-तिरछी रेखाएँ खीचने में अभ्यस्त किया जाता है।
- कक्षा एक में लिखने का आरम्भ रेखांकन तथा चित्र बनाने से होता है।
- लकड़ी, गत्ते,प्लास्टिक आदि मे ढले वर्णों के ऊपर या चारों ओर ऊँगली घुमाने या फेरने का अभ्यास
- बालू, स्लेट या कागज आदि पर इच्च्छानुसार रेखा खींचने का अभ्यास
- देवनागरी वर्णमाला मे प्रयुक्त खड़ी रेखा, शिरोरेखा, विभिन्न प्रकार के वक्र या वृत्त बनाने का अभ्यास
- चित्र बनाना, चित्रों में रंग भरने का अभ्यास
- कंकड़, तिनके आदि जोड़कर किसी वर्ण की आकृति बनाना
- बांये से दांये पेन्सिल आदि चलाने का अभ्यास
अतः निष्कर्ष निकलता है कि प्राथमिक स्तर के बच्चों में रेखांकन और चित्रांकन के माध्यम से लेखन कौशल का विकास किया जा सकता हैI