क्रेता द्वारा संविदा के भाग का विनिर्दिष्ट पालन के मामले में

  1. संविदा के शेष भाग के आगे के पालन के लिए दावा नहीं छोड़ा जा सकता है और मुआवजे का कोई अधिकार नहीं है
  2. संविदा के शेष भाग के आगे के पालन का दावा छोड़ सकता है और मुआवजे का अधिकार रखता है
  3. संविदा के भाग का विनिर्दिष्ट पालन संभव नहीं है
  4. उपर्युक्त सभी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : संविदा के शेष भाग के आगे के पालन का दावा छोड़ सकता है और मुआवजे का अधिकार रखता है

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 2 है।

Key Pointsविनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 की धारा 12, संविदा के भाग का विनिर्दिष्ट पालन का प्रावधान करती है।

इसमें कहा गया है कि -

  • (1) इस धारा में एतस्मिन् पश्चात्, अन्यथा उपबन्धित के सिवाय, न्यायालय किसी संविदा के किसी भाग के विनिर्दिष्ट पालन का निदेश नहीं देगा।
  • (2) जहां कि किसी संविदा का कोई पक्षकार उसमें के अपने पूरे भाग का पालन करने में असमर्थ हो किन्तु वह भाग, जिसे अपालित रह जाना ही है, पूरे भाग के अनुपात में मूल्य में बहुत कम हो और उसके लिए धन के रूप में प्रतिकर हो सकता हो, वहां दोनों में से किसी भी पक्षकार के बाद लाने पर न्यायालय संविदा में से उतने भर के विनिर्दिष्ट पालन का निदेश दे सकेगा जितने का पालन किया जा सकता हो और उतने के लिए धन के रूप में प्रतिकर दिलवा सकेगा।
  • (3) जहां कि संविदा का कोई पक्षकार उसमें के अपने पूरे भाग का पालन करने में असमर्थ हो और वह भाग जिसे अपालित रह जाना ही है या तो-
    • (क) सम्पूर्ण का प्रचुर भाग हो यद्यपि उसका धन के रूप में प्रतिकर हो सकता हो ; या
      (ख) उसका धन के रूप में प्रतिकर न हो सकता हो, वहां वह विनिर्दिष्ट पालन के लिए डिक्री अभिप्राप्त करने का हकदार नहीं है किन्तु न्यायालय दूसरे पक्षकार के बाद लाने पर व्यतिक्रम
      करने वाले पक्षकार को यह निदेश दे सकेगा कि संविदा के अपने उतने भाग का, जितने का वह पालन कर सकता है, विनिर्दिष्टतः पालन करे, यदि दूसरा पक्षकार
      • (i) खंड (क) के अधीन आने वाली दशा में, पूरी संविदा के लिए करारित प्रतिफल उसमें से उस भाग के प्रतिफल को, जिसे अपालित रह जाना ही है घटाकर दे दे या दे चुका हो और, खंड (ख) के अधीन आने वाली दशा में पूरी संविदा के लिए प्रतिफल, कोई कमी किए बिना, । [दे दे या दे चुका हो] ; तथा
      • (ii) दोनों दशाओं में से हर एक में संविदा के शेष भाग के पालन कराने के सब दावों को तथा शेष की ऊनता के लिए या प्रतिवादी के व्यतिक्रम द्वारा उसे हुई हानि या नुकसान के लिए प्रतिकर पाने के समस्त अधिकार को त्याग दे।
  • (4) जबकि संविदा का कोई भाग जिसका, यदि उसे अलग से ले तो विनिर्दिष्टतः पालन किया जा सकता है और किया जाना चाहिए, उसी संविदा के ऐसे अन्य भाग से पृथक् और स्वतन्त्र आधार पर खड़ा हो जिसका विनिर्दिष्टतः पालन नहीं किया जा सकता या नहीं किया जाना चाहिए, वहां न्यायालय पूर्वकथित भाग के विनिर्दिष्ट पालन का निदेश दे सकेगा।

स्पष्टीकरण – संविदा का कोई पक्षकार उसमें के अपने पूरे भाग का पालन करने में इस धारा के प्रयोजनों के लिए असमर्थ माना जाएगा, यदि उसकी विषय-वस्तु का कोई प्रभाग जो संविदा की तारीख को अस्तित्व में था उसके पालन के समय अस्तित्व में न रह जाए।

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