आङ्ग्लभाषायाम्‌ अध्यापनविधिविषयकानि निम्नलिखितकथनानि पठत-

a. अयं विधिः/ पद्धतिः प्रथम जर्मनीदेशे प्रारब्धःI

b. आङ्ग्लभाषां पाठयितुं अयं विधिः यूरोपे भूयशः प्रयुक्तःI

c. अध्यापनस्य मूलमात्रकं शब्दः अस्ति, न वाक्यम्‌I

d. विषयसामग्री मानकप्रारूपे श्रेणीबद्धा क्रियतेI

e. प्रगतिपदानि औपचारिकतायाः, क्रियात्मकतां प्रति गच्छन्तिI

f. सूक्तिज्ञानम्‌ (Phraseology) व्याख्यायां सम्यक्‌ समावेष्टुं शक्यतेI

एताः विशेषताः निम्नलिखितेषु कस्मिन्‌ अभिव्यक्ताः भवन्ति ?

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CTET Paper 1 - 27th Dec 2021 (English-Hindi-Sanskrit)
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  1. श्रवणभाषीयपद्धत्याम्‌ (Audio lingual Method)
  2. प्रतिस्थापनविधौ/प्रक्रियायाम्‌
  3. द्विभाषीयता पद्धत्याम्‌
  4. व्याकरण-अनुवादविधौ

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Option 2 : प्रतिस्थापनविधौ/प्रक्रियायाम्‌
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प्रश्नानुवाद - आंग्ल भाषा में अध्यापन विधि के विषयों के निम्नलिखित कथनों को पढ़ें - 

(a) यह विधि / पद्धति प्रथम जर्मनी देश में प्रारब्ध हुयी।

(b) आंग्लभाषा को पढ़ने के लिए यह विधि यूरोप में बहुत प्रयुक्त हुयी।

(c) अध्यापन का मूलमात्र शब्द है न कि वाक्य।

(d) विषयसामग्री मानक प्रारूप में श्रेणीबद्ध की जाती है।

(e) प्रगति पद औपचारिकता और क्रियात्मकता ओर जाते हैं।

(f) सूक्ति ज्ञान व्याख्या में सम्यक् समाविष्ट किये जा सकते हैं।

ये सभी विशेषताएं निम्नलिखित में सें किसमें अभिव्यक्त होती हैं?

स्पष्टीकरण - उपरोक्त सभी विशेषताएं प्रतिस्थापन विधि (Replacement) में अभिव्यक्त/परिलक्षित होती है। जिसे प्रत्यक्ष विधि के रूप में देखा जाता है।

  • इस विधि को जर्मन देशीय गोविन और बर्लित्ज द्वारा प्रतिपादित किया गया। यह भाषा सीखने में उपयोगी है।
  • भाषा सीखना अपने विचारों को किसी विषय या सम्प्रत्यय के रूप में प्रस्तुत करना है।
  • किसी वस्तु को प्रत्यक्ष रूप से दिखाकर उसका अधिगम करना अधिक सहज होता है। जिसमें विषयवस्तु को सरलता से समझा जा सकता है।
  • इनके अनुसार द्वितीय भाषा को प्रथम भाषा के समान ही सीखा जाता है।
  • इस विधि में बालकों के सम्भाषण कौशल का अधिक से अधिक उपयोग होता है।
  • इस विधि के मुख्य नियमों को इस तरह समझा जा सकता है -
    • लक्ष्यभाषा में कक्षा सम्बन्धी निर्देशों को कहना।
    • व्याकरण सीखने हेतु आगमनात्मक उपागम उपयोगी है।
    • प्रत्येक दिन शब्दावली को पढ़ाया जाएं, जिससे शब्दों का अधिक से अधिक ज्ञान हो।
    • शब्दों को वस्तु के प्रस्तुतिकरण द्वारा या वाक्यों में प्रयोग द्वारा पढ़ाया जाए। जिससे शब्दों का सार्थक ज्ञान हो सके।
  • इस विधि का उपयोग करना कठिन एवं अधिक खर्चीला है। इसलिए द्विभाषीय पद्धति, श्रवणभाषीय पद्धति की उत्पत्ति हुयी।  

 

अतः कहा जा सकता है कि उपर्युक्त विशेषताएं प्रतिस्थापन विधि/प्रक्रिया में परिलक्षित होती है।

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