गद्यांश MCQ Quiz in తెలుగు - Objective Question with Answer for गद्यांश - ముఫ్త్ [PDF] డౌన్‌లోడ్ కరెన్

Last updated on Apr 3, 2025

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Latest गद्यांश MCQ Objective Questions

Top गद्यांश MCQ Objective Questions

गद्यांश Question 1:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

अहिंसात्मक अभ्यास का मार्ग ही अलग है। फौज में प्रतिदिन कवायद, कसरत, क्रूरतापूर्ण शिकार इत्यादि कराए जाते हैं। अहिंसात्मक अभ्यास इससे बिल्कुल भिन्न है। उसका साधन, यदि एक शब्द में कहना चाहें, तो बस, संयम है। यहाँ संयम व्यापक अर्थ में उन तमाम नियमों के लिए व्यक्त किया गया है, जिनका जिक्र हिंदुओं के तथा दूसरे धर्मों के धर्मग्रंथों में पाया जाता है। यह साधारण सदाचार के नियम सख्ती से पालन करके सीखे जाते हैं। इन सब नियमों का झुकाव अहिंसा और सत्य की ओर ही होता है। गांधी जी ने बार-बार लिखा है कि ईश्वर पर विश्वास इसका एक बहुत बड़ा सहायक होता है। यदि इस अहिंसात्मक प्रवृत्ति को जागृत और पुष्ट करने में समय लगाया जाए, बचपन से ही अभ्यास कराया जाए और इस पर पूरा ध्यान दिया जाए तो निर्भयता इत्यादि जो इसके मुख्य बाह्य रूप देखने में आते हैं, अवश्य ही प्राप्त किए जा सकते हैं। यह कहना कि यह मनुष्य के लिए संभव नहीं, बे-बुनियाद बात है। 

धर्मग्रंथ में सर्वाधिक बल दिया गया है-

  1. सदाचार के नियमों पर 
  2. धर्म-पालन पर
  3. सहिष्णुता पर
  4. भक्ति और ज्ञान पर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : सदाचार के नियमों पर 

गद्यांश Question 1 Detailed Solution

धर्मग्रंथ में सर्वाधिक बल दिया गया है- सदाचार के नियमों पर 

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार -
    • यहाँ संयम व्यापक अर्थ में उन तमाम नियमों के लिए व्यक्त किया गया है,
    • जिनका जिक्र हिंदुओं के तथा दूसरे धर्मों के धर्मग्रंथों में पाया जाता है।
    • यह साधारण सदाचार के नियम सख्ती से पालन करके सीखे जाते हैं।
    • इन सब नियमों का झुकाव अहिंसा और सत्य की ओर ही होता है।
    • गांधी जी ने बार-बार लिखा है कि ईश्वर पर विश्वास इसका एक बहुत बड़ा सहायक होता है। 

Additional Information अन्य विकल्प -

  • धर्म-पालन पर: यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि गद्यांश का मुख्य उद्देश्य धर्म-पालन से संबंधित नहीं है।
  • सहिष्णुता पर: यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि गद्यांश में सहिष्णुता पर विशेष बल नहीं दिया गया है।
  • भक्ति और ज्ञान पर: यह विकल्प भी सही नहीं है क्योंकि गद्यांश में भक्ति और ज्ञान पर फोकस नहीं है।

गद्यांश Question 2:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

अहिंसात्मक अभ्यास का मार्ग ही अलग है। फौज में प्रतिदिन कवायद, कसरत, क्रूरतापूर्ण शिकार इत्यादि कराए जाते हैं। अहिंसात्मक अभ्यास इससे बिल्कुल भिन्न है। उसका साधन, यदि एक शब्द में कहना चाहें, तो बस, संयम है। यहाँ संयम व्यापक अर्थ में उन तमाम नियमों के लिए व्यक्त किया गया है, जिनका जिक्र हिंदुओं के तथा दूसरे धर्मों के धर्मग्रंथों में पाया जाता है। यह साधारण सदाचार के नियम सख्ती से पालन करके सीखे जाते हैं। इन सब नियमों का झुकाव अहिंसा और सत्य की ओर ही होता है। गांधी जी ने बार-बार लिखा है कि ईश्वर पर विश्वास इसका एक बहुत बड़ा सहायक होता है। यदि इस अहिंसात्मक प्रवृत्ति को जागृत और पुष्ट करने में समय लगाया जाए, बचपन से ही अभ्यास कराया जाए और इस पर पूरा ध्यान दिया जाए तो निर्भयता इत्यादि जो इसके मुख्य बाह्य रूप देखने में आते हैं, अवश्य ही प्राप्त किए जा सकते हैं। यह कहना कि यह मनुष्य के लिए संभव नहीं, बे-बुनियाद बात है। 

उपर्युक्त गद्यांश में फौजी की गतिविधियों का इसलिए उल्लेख किया गया है कि. 

  1. फौजी का महत्व निरूपित किया जाए।
  2. अहिंसात्मक अभ्यास का विवेचन किया जा सके। 
  3. सैनिक शिक्षा की अनिवार्यता संकेतित की जाए।
  4. अहिंसात्मक अभ्यास की उससे पृथकता प्रतिपादित की जा सके।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अहिंसात्मक अभ्यास की उससे पृथकता प्रतिपादित की जा सके।

गद्यांश Question 2 Detailed Solution

उपर्युक्त गद्यांश में फौजी की गतिविधियों का इसलिए उल्लेख किया गया है कि अहिंसात्मक अभ्यास की उससे पृथकता प्रतिपादित की जा सके।

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार -
    • अहिंसात्मक अभ्यास का मार्ग ही अलग है।
    • फौज में प्रतिदिन कवायद, कसरत, क्रूरतापूर्ण शिकार इत्यादि कराए जाते हैं।
    • अहिंसात्मक अभ्यास इससे बिल्कुल भिन्न है। उसका साधन, यदि एक शब्द में कहना चाहें, तो बस, संयम है। 

Additional Information अन्य विकल्प -

  • फौजी का महत्व निरूपित किया जाए: यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि गद्यांश का उद्देश्य व्यक्तिगत रूप से फौजी के महत्व को निरूपित करना नहीं है।
  • अहिंसात्मक अभ्यास का विवेचन किया जा सके: यह विकल्प सही है क्योंकि गद्यांश में अहिंसात्मक अभ्यास की विशेषताओं को मुख्य रूप से प्रदर्शित किया गया है।
  • सैनिक शिक्षा की अनिवार्यता संकेतित की जाए: यह विकल्प भी सही नहीं है क्योंकि गद्यांश सैनिक शिक्षा की अनिवार्यता पर केंद्रित नहीं है, बल्कि अहिंसात्मक अभ्यास के विवेचन पर है।

गद्यांश Question 3:

Comprehension:

"समाज सेवा का क्षेत्र अनंत है। समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता। समाज सेवा शहरों के अलावा छोटे-छोटे गाँवों, कस्बों में भी की जा सकती है। शहरों में समाज सेवा कई प्रकार से की जा सकती है। असहायों को सड़क पार करवाना, दुर्घटना के समय चिकित्सा सुविधायें  उपलब्ध करवाना, अस्पतालों में रोगियों को फल, दवाई, पौष्टिक चीजें वितरित करना, गरीबों को भोजन देना, बेसहारे निर्धन आवास की व्यवस्था करना आदि विभिन्न प्रकार से समाज सेवा की जा सकती है। इसके अलावा छोटे-छोटे बच्चों को सड़क पर करवाना, पर्यावरण की सुरक्षा के लिये वृक्षों को उगाना, पीने के पानी की व्यवस्था करना, बाहर से आये मुसाफिरों के लिये रहने की व्यवस्था करना, अनपढ़ों की सहायता करना आदि। हमारे यहाँ गाँवों की स्थिति काफी चिन्ताजनक है। आधुनिक और आवश्यक शिक्षा के अभाव में ग्रामीण रहन-सहन खराब है। चिकित्सा सुविधाओं के अभाववश ग्रामवासी अपनी बीमारियों के उपचार हेतु झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं। पढ़े-लिखे न होने के कारण महाजन उनका शोषण करते हैं। अतः ग्रामों में समाज सेवा के लिये विद्यालय खोलना, प्रौढ़ शिक्षा का प्रबंध करना, किसानों को खेती संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाना, आवश्यकता पड़ने पर खेत-खलिहान में लगी आग को बुझाने के तरीके बताना, रहन-सहन के तरीकों से अवगत कराना, चिकित्सा की सुविधायें उपलब्ध कराना आदि कदम उठाए जा सकते हैं।"

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार गाँवों की दशा क्यों खराब है? 

  1. शिक्षा का अभाव
  2. महाजनों के शोषण के कारण
  3. चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण
  4. उपर्युक्त सभी कारणों से

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उपर्युक्त सभी कारणों से

गद्यांश Question 3 Detailed Solution

सही उत्तर है - उपर्युक्त सभी कारणों से

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार-
    • हमारे यहाँ गाँवों की स्थिति काफी चिन्ताजनक है।
    • आधुनिक और आवश्यक शिक्षा के अभाव में ग्रामीण रहन-सहन खराब है।
    • चिकित्सा सुविधाओं के अभाववश ग्रामवासी अपनी बीमारियों के उपचार हेतु झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं।
    • पढ़े-लिखे न होने के कारण महाजन उनका शोषण करते हैं।

गद्यांश Question 4:

Comprehension:

"समाज सेवा का क्षेत्र अनंत है। समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता। समाज सेवा शहरों के अलावा छोटे-छोटे गाँवों, कस्बों में भी की जा सकती है। शहरों में समाज सेवा कई प्रकार से की जा सकती है। असहायों को सड़क पार करवाना, दुर्घटना के समय चिकित्सा सुविधायें  उपलब्ध करवाना, अस्पतालों में रोगियों को फल, दवाई, पौष्टिक चीजें वितरित करना, गरीबों को भोजन देना, बेसहारे निर्धन आवास की व्यवस्था करना आदि विभिन्न प्रकार से समाज सेवा की जा सकती है। इसके अलावा छोटे-छोटे बच्चों को सड़क पर करवाना, पर्यावरण की सुरक्षा के लिये वृक्षों को उगाना, पीने के पानी की व्यवस्था करना, बाहर से आये मुसाफिरों के लिये रहने की व्यवस्था करना, अनपढ़ों की सहायता करना आदि। हमारे यहाँ गाँवों की स्थिति काफी चिन्ताजनक है। आधुनिक और आवश्यक शिक्षा के अभाव में ग्रामीण रहन-सहन खराब है। चिकित्सा सुविधाओं के अभाववश ग्रामवासी अपनी बीमारियों के उपचार हेतु झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं। पढ़े-लिखे न होने के कारण महाजन उनका शोषण करते हैं। अतः ग्रामों में समाज सेवा के लिये विद्यालय खोलना, प्रौढ़ शिक्षा का प्रबंध करना, किसानों को खेती संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाना, आवश्यकता पड़ने पर खेत-खलिहान में लगी आग को बुझाने के तरीके बताना, रहन-सहन के तरीकों से अवगत कराना, चिकित्सा की सुविधायें उपलब्ध कराना आदि कदम उठाए जा सकते हैं।"

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार प्रौढ़ शिक्षा क्या होती है? 

  1. अधेड़ आयु के लोगों की शिक्षा
  2. बच्चों की शिक्षा
  3. युवकों की शिक्षा
  4. स्त्रियों की शिक्षा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अधेड़ आयु के लोगों की शिक्षा

गद्यांश Question 4 Detailed Solution

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार प्रौढ़ शिक्षा होती है- अधेड़ आयु के लोगों की शिक्षा

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार-
    • चिकित्सा सुविधाओं के अभाववश ग्रामवासी अपनी बीमारियों के उपचार हेतु झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं।
    • पढ़े-लिखे न होने के कारण महाजन उनका शोषण करते हैं।
    • अतः ग्रामों में समाज सेवा के लिये विद्यालय खोलना, प्रौढ़ शिक्षा का प्रबंध करना,
    • किसानों को खेती संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाना,
    • आवश्यकता पड़ने पर खेत-खलिहान में लगी आग को बुझाने के तरीके बताना,

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • बच्चों की शिक्षा - यह शिक्षा छोटे बच्चों को प्रदान की जाने वाली प्रारंभिक शिक्षा होती है, जिसमें प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा शामिल है।
  • युवकों की शिक्षा - यह किशोरों और युवाओं को दी जाने वाली माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, और उच्च शिक्षा को संदर्भित करती है।
  • स्त्रियों की शिक्षा - यह विशेष रूप से महिलाओं को दी जाने वाली शिक्षा को संदर्भित करती है, चाहे वह किसी भी आयु वर्ग की हो।

गद्यांश Question 5:

Comprehension:

"समाज सेवा का क्षेत्र अनंत है। समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता। समाज सेवा शहरों के अलावा छोटे-छोटे गाँवों, कस्बों में भी की जा सकती है। शहरों में समाज सेवा कई प्रकार से की जा सकती है। असहायों को सड़क पार करवाना, दुर्घटना के समय चिकित्सा सुविधायें  उपलब्ध करवाना, अस्पतालों में रोगियों को फल, दवाई, पौष्टिक चीजें वितरित करना, गरीबों को भोजन देना, बेसहारे निर्धन आवास की व्यवस्था करना आदि विभिन्न प्रकार से समाज सेवा की जा सकती है। इसके अलावा छोटे-छोटे बच्चों को सड़क पर करवाना, पर्यावरण की सुरक्षा के लिये वृक्षों को उगाना, पीने के पानी की व्यवस्था करना, बाहर से आये मुसाफिरों के लिये रहने की व्यवस्था करना, अनपढ़ों की सहायता करना आदि। हमारे यहाँ गाँवों की स्थिति काफी चिन्ताजनक है। आधुनिक और आवश्यक शिक्षा के अभाव में ग्रामीण रहन-सहन खराब है। चिकित्सा सुविधाओं के अभाववश ग्रामवासी अपनी बीमारियों के उपचार हेतु झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं। पढ़े-लिखे न होने के कारण महाजन उनका शोषण करते हैं। अतः ग्रामों में समाज सेवा के लिये विद्यालय खोलना, प्रौढ़ शिक्षा का प्रबंध करना, किसानों को खेती संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाना, आवश्यकता पड़ने पर खेत-खलिहान में लगी आग को बुझाने के तरीके बताना, रहन-सहन के तरीकों से अवगत कराना, चिकित्सा की सुविधायें उपलब्ध कराना आदि कदम उठाए जा सकते हैं।"

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार समाज सेवा का क्षेत्र कैसा होता है? 

  1. बंधित
  2. अनंत
  3. शहरी
  4. सीमित

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अनंत

गद्यांश Question 5 Detailed Solution

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार समाज सेवा का क्षेत्र होता है- अनंत

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार-
    • "समाज सेवा का क्षेत्र अनंत है। समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता।
    • समाज सेवा शहरों के अलावा छोटे-छोटे गाँवों, कस्बों में भी की जा सकती है। 

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • बंधित- गद्यांश स्पष्टतः कहता है, "समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता।"
    • बंधित का अर्थ है सीमित, लेकिन गद्यांश बताता है कि समाज सेवा सीमित नहीं है।
  • शहरी- यद्यपि गद्यांश में कहा गया है कि समाज सेवा शहरों में भी की जा सकती है,
    • लेकिन यह स्पष्ट किया गया है कि यह शहरों तक ही सीमित नहीं है। यानी समाज सेवा केवल शहरी क्षेत्र नहीं है।
  • सीमित-
    • गद्यांश में साफ कहा गया है कि "समाज सेवा का क्षेत्र अनंत है"
    • और "समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता", जिसका अर्थ है कि समाज सेवा सीमित नहीं है।

गद्यांश Question 6:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए -

वस्तुतः पूँजीवादी व्यवस्था में दो मुख्य वर्ग होते हैं - बुर्जुआ और सर्वहारा। लेकिन इनके बीच एक अन्य वर्ग भी होता है जिसे मध्य वर्ग कहते हैं। इस वर्ग की समाज की सत्ता संरचना में कोई खास स्थान नहीं मिलता, परंतु इसके कुछ फायदे उसे अवश्य मिलते हैं। इसके अतिरिक्त सर्वहारा वर्ग को इस समाज में कोई फायदा नहीं मिलता। धन रहने की बात तो दूर, उन्हें बुनियादी जरूरतें प्राप्त करने में भी कठिनाई होती है। सर्वहारा वर्ग से संबद्ध होने में उन्हें पहचान पाना। इन परिस्थितियों में सर्वहारा वर्ग की शक्ति कमजोर होती है और सत्ता में बुर्जुआ वर्ग की स्थिति मजबूत बनी रहती है। ऐतिहासिक विकास क्रम में ‘श्रेणी’ शब्द के स्थान पर जब भौगोलिक क्रांति के साथ बुर्जुआ व सर्वहारा वर्ग उभरा तो इन दोनों के साथ मध्य वर्ग अस्तित्व में आया। इसके अपने वर्ग का कोई इतिहास नहीं मिलता। आधुनिक पूँजीवादी समाजों में सामान्यतः मध्य समूह सामंती किलों का सदस्य है – पहला, छोटे व्यापारी, दूसरे पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी जो अपनी सेवाओं को बेचते हैं, तीसरे निजी बुर्जुआ भी आते हैं। ये सर्वहारा के समान ही होते हैं लेकिन संभावना रहती है कि वे अपने कार्य हेतु मजदूरों पर श्रमिकों को रख लें। इस तरह इन्हें छोटा बुर्जुआ समझा जा सकता है।

 

छोटे व्यापारी किनके समान होते हैं?

  1. बुर्जुआ वर्ग के
  2. सर्वहारा वर्ग के
  3. मध्य वर्ग के
  4. किन्हीं के समान नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सर्वहारा वर्ग के

गद्यांश Question 6 Detailed Solution

छोटे व्यापारी सर्वहारा वर्ग के समान होते हैं। 

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • आधुनिक पूँजीवादी समाजों में सामान्यतः मध्य समूह सामंती किलों का सदस्य है –
    • पहला, छोटे व्यापारी, दूसरे पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी जो अपनी सेवाओं को बेचते हैं,
    • तीसरे निजी बुर्जुआ भी आते हैं। ये सर्वहारा के समान ही होते हैं लेकिन संभावना रहती है
    • कि वे अपने कार्य हेतु मजदूरों पर श्रमिकों को रख लें। 

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • बुर्जुआ वर्ग के: अनुच्छेद में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है कि छोटे व्यापारी बुर्जुआ वर्ग के समान होते हैं।
  • मध्य वर्ग के: अनुच्छेद यह बताता है कि छोटे व्यापारी, पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी और निजी बुर्जुआ मध्य वर्ग में आते हैं, लेकिन यह भी बताता है कि छोटे व्यापारी सर्वहारा वर्ग के समान होते हैं।
  • किन्हीं के समान नहीं: यह विकल्प भी सही नहीं हो सकता क्योंकि अनुच्छेद में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि छोटे व्यापारी सर्वहारा के समान होते हैं।

गद्यांश Question 7:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए -

वस्तुतः पूँजीवादी व्यवस्था में दो मुख्य वर्ग होते हैं - बुर्जुआ और सर्वहारा। लेकिन इनके बीच एक अन्य वर्ग भी होता है जिसे मध्य वर्ग कहते हैं। इस वर्ग की समाज की सत्ता संरचना में कोई खास स्थान नहीं मिलता, परंतु इसके कुछ फायदे उसे अवश्य मिलते हैं। इसके अतिरिक्त सर्वहारा वर्ग को इस समाज में कोई फायदा नहीं मिलता। धन रहने की बात तो दूर, उन्हें बुनियादी जरूरतें प्राप्त करने में भी कठिनाई होती है। सर्वहारा वर्ग से संबद्ध होने में उन्हें पहचान पाना। इन परिस्थितियों में सर्वहारा वर्ग की शक्ति कमजोर होती है और सत्ता में बुर्जुआ वर्ग की स्थिति मजबूत बनी रहती है। ऐतिहासिक विकास क्रम में ‘श्रेणी’ शब्द के स्थान पर जब भौगोलिक क्रांति के साथ बुर्जुआ व सर्वहारा वर्ग उभरा तो इन दोनों के साथ मध्य वर्ग अस्तित्व में आया। इसके अपने वर्ग का कोई इतिहास नहीं मिलता। आधुनिक पूँजीवादी समाजों में सामान्यतः मध्य समूह सामंती किलों का सदस्य है – पहला, छोटे व्यापारी, दूसरे पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी जो अपनी सेवाओं को बेचते हैं, तीसरे निजी बुर्जुआ भी आते हैं। ये सर्वहारा के समान ही होते हैं लेकिन संभावना रहती है कि वे अपने कार्य हेतु मजदूरों पर श्रमिकों को रख लें। इस तरह इन्हें छोटा बुर्जुआ समझा जा सकता है।

 

किस वर्ग का इतिहास 19 वीं सदी से पूर्व नहीं मिलता है?

  1. बुर्जुआ वर्ग का
  2. सर्वहारा वर्ग का
  3. मध्य वर्ग का
  4. बुर्जुआ तथा सर्वहारा वर्ग का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मध्य वर्ग का

गद्यांश Question 7 Detailed Solution

मध्य वर्ग का इतिहास 19 वीं सदी से पूर्व नहीं मिलता है

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • इन परिस्थितियों में सर्वहारा वर्ग की शक्ति कमजोर होती है और सत्ता में बुर्जुआ वर्ग की स्थिति मजबूत बनी रहती है।
    • ऐतिहासिक विकास क्रम में ‘श्रेणी’ शब्द के स्थान पर जब भौगोलिक क्रांति के साथ बुर्जुआ व सर्वहारा वर्ग उभरा
    • तो इन दोनों के साथ मध्य वर्ग अस्तित्व में आया। इसके अपने वर्ग का कोई इतिहास नहीं मिलता। 

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • बुर्जुआ वर्ग का: बुर्जुआ वर्ग का इतिहास पहले से मिलता है और इसका उल्लेख किया गया है, इसलिए यह विकल्प सही नहीं है।
  • सर्वहारा वर्ग का: सर्वहारा वर्ग का भी इतिहास मिलता है और इसका उल्लेख हुआ है, इसलिए यह विकल्प भी सही नहीं है।
  • बुर्जुआ तथा सर्वहारा वर्ग का: जैसा कि ऊपर बताया गया है, बुर्जुआ और सर्वहारा दोनों का इतिहास मिलता है, इसलिए यह विकल्प भी सही नहीं है।

गद्यांश Question 8:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए -

वस्तुतः पूँजीवादी व्यवस्था में दो मुख्य वर्ग होते हैं - बुर्जुआ और सर्वहारा। लेकिन इनके बीच एक अन्य वर्ग भी होता है जिसे मध्य वर्ग कहते हैं। इस वर्ग की समाज की सत्ता संरचना में कोई खास स्थान नहीं मिलता, परंतु इसके कुछ फायदे उसे अवश्य मिलते हैं। इसके अतिरिक्त सर्वहारा वर्ग को इस समाज में कोई फायदा नहीं मिलता। धन रहने की बात तो दूर, उन्हें बुनियादी जरूरतें प्राप्त करने में भी कठिनाई होती है। सर्वहारा वर्ग से संबद्ध होने में उन्हें पहचान पाना। इन परिस्थितियों में सर्वहारा वर्ग की शक्ति कमजोर होती है और सत्ता में बुर्जुआ वर्ग की स्थिति मजबूत बनी रहती है। ऐतिहासिक विकास क्रम में ‘श्रेणी’ शब्द के स्थान पर जब भौगोलिक क्रांति के साथ बुर्जुआ व सर्वहारा वर्ग उभरा तो इन दोनों के साथ मध्य वर्ग अस्तित्व में आया। इसके अपने वर्ग का कोई इतिहास नहीं मिलता। आधुनिक पूँजीवादी समाजों में सामान्यतः मध्य समूह सामंती किलों का सदस्य है – पहला, छोटे व्यापारी, दूसरे पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी जो अपनी सेवाओं को बेचते हैं, तीसरे निजी बुर्जुआ भी आते हैं। ये सर्वहारा के समान ही होते हैं लेकिन संभावना रहती है कि वे अपने कार्य हेतु मजदूरों पर श्रमिकों को रख लें। इस तरह इन्हें छोटा बुर्जुआ समझा जा सकता है।

 

उक्त अनुच्छेद में किन-किन वर्गों का उल्लेख है? 

  1. केवल बुर्जुआ का
  2. केवल सर्वहारा का
  3. केवल मध्य वर्ग का
  4. बुर्जुआ, सर्वहारा, मध्य वर्ग तथा छोटा बुर्जुआ का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : बुर्जुआ, सर्वहारा, मध्य वर्ग तथा छोटा बुर्जुआ का

गद्यांश Question 8 Detailed Solution

उक्त अनुच्छेद में वर्गों का उल्लेख है- बुर्जुआ, सर्वहारा, मध्य वर्ग तथा छोटा बुर्जुआ का

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • इन परिस्थितियों में सर्वहारा वर्ग की शक्ति कमजोर होती है और सत्ता में बुर्जुआ वर्ग की स्थिति मजबूत बनी रहती है।
    • ऐतिहासिक विकास क्रम में ‘श्रेणी’ शब्द के स्थान पर जब भौगोलिक क्रांति के साथ बुर्जुआ व सर्वहारा वर्ग उभरा
    • तो इन दोनों के साथ मध्य वर्ग अस्तित्व में आया। इसके अपने वर्ग का कोई इतिहास नहीं मिलता। 

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • केवल बुर्जुआ का: इसका मतलब है कि अनुच्छेद में सिर्फ "बुर्जुआ" वर्ग का उल्लेख किया गया है।
    • लेकिन इस विकल्प को सही नहीं माना जा सकता क्योंकि अनुच्छेद में बुर्जुआ, सर्वहारा, और मध्य वर्ग तीनों का उल्लेख किया गया है।
  • केवल सर्वहारा का: इसका मतलब है कि अनुच्छेद में केवल "सर्वहारा" वर्ग का उल्लेख किया गया है।
    • लेकिन यह भी सही नहीं है क्योंकि अनुच्छेद में सर्वहारा के साथ-साथ बुर्जुआ और मध्य वर्ग का भी उल्लेख है।
  • केवल मध्य वर्ग का: इसका मतलब है कि अनुच्छेद में केवल "मध्य वर्ग" का उल्लेख किया गया है।
    • लेकिन यह भी सही नहीं है क्योंकि अनुच्छेद में मध्य वर्ग के साथ-साथ बुर्जुआ और सर्वहारा का भी उल्लेख है।

गद्यांश Question 9:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए :-
संप्रदाय और धर्म में मूलभूत अंतर है। संप्रदाय एक विशेष प्रकार की पूजा पद्धति, मत, मजहब का प्रतीक है। अपनी रुचि और प्रकृति के आधार पर व्यक्ति किसी संप्रदाय में सम्मिलित होकर अपना विकास कर सकता है, अपने आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने की दिशा कर सकता है। संप्रदाय आध्यात्मिक विकास की एक सीढ़ी है। मनुष्य अपनी सुविधा और मनोरोचना के अनुसार किसी संप्रदाय को चुन सकता है। संप्रदाय, मत, पंथ या मजहब को धर्म नहीं कहा जा सकता। धर्म तो समाज की धारणा करता है। धर्म तो समाज के नियमों को कहते हैं। वे नियम जिन्हें समाज व्यवस्थित रूप से चलता है, धर्मनियम (Rule of Law) के परिचायक हैं। धर्म और संप्रदाय का यही मूलभूत अंतर है। संप्रदाय को धर्म की संज्ञा देना धर्म को न समझना है। संप्रदाय संकुचित और धर्म विशाल है। संप्रदाय एक विशेष मत की आस्था है, धर्म सार्वभौमव्यापी तथा सर्वग्राह्य है, मानवमात्र के लिए जीवन की सम्यक प्रकार से जीवन धारणा, समाज धारणा के लिए विशेषमान जीवन का दृष्टिकोण है।

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार इनमें से कौन-सा कथन सही नहीं है?

  1. संप्रदाय आध्यात्मिक विकास की एकमात्र सीढ़ी है
  2. धर्म सर्वग्राह्य है
  3. संप्रदाय एक विशेष प्रकार का मत है
  4. धर्म मानव के सम्यक जीवन की अवधारणा है

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : संप्रदाय आध्यात्मिक विकास की एकमात्र सीढ़ी है

गद्यांश Question 9 Detailed Solution

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार इनमें से कथन सही नहीं है- संप्रदाय आध्यात्मिक विकास की एकमात्र सीढ़ी है

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार -
    • संप्रदाय संकुचित और धर्म विशाल है।
    • संप्रदाय एक विशेष मत की आस्था है, धर्म सार्वभौमव्यापी तथा सर्वग्राह्य है,
    • मानवमात्र के लिए जीवन की सम्यक प्रकार से जीवन धारणा, समाज धारणा के लिए विशेषमान जीवन का दृष्टिकोण है।

Additional Information 
 
अन्य विकल्प -

  • सही कथन - गद्यांश के अनुसार, संप्रदाय आध्यात्मिक विकास की एक सीढ़ी है। मनुष्य अपनी सुविधा और मनोरोचना के अनुसार किसी संप्रदाय को चुन सकता है।

गद्यांश Question 10:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए :-
संप्रदाय और धर्म में मूलभूत अंतर है। संप्रदाय एक विशेष प्रकार की पूजा पद्धति, मत, मजहब का प्रतीक है। अपनी रुचि और प्रकृति के आधार पर व्यक्ति किसी संप्रदाय में सम्मिलित होकर अपना विकास कर सकता है, अपने आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने की दिशा कर सकता है। संप्रदाय आध्यात्मिक विकास की एक सीढ़ी है। मनुष्य अपनी सुविधा और मनोरोचना के अनुसार किसी संप्रदाय को चुन सकता है। संप्रदाय, मत, पंथ या मजहब को धर्म नहीं कहा जा सकता। धर्म तो समाज की धारणा करता है। धर्म तो समाज के नियमों को कहते हैं। वे नियम जिन्हें समाज व्यवस्थित रूप से चलता है, धर्मनियम (Rule of Law) के परिचायक हैं। धर्म और संप्रदाय का यही मूलभूत अंतर है। संप्रदाय को धर्म की संज्ञा देना धर्म को न समझना है। संप्रदाय संकुचित और धर्म विशाल है। संप्रदाय एक विशेष मत की आस्था है, धर्म सार्वभौमव्यापी तथा सर्वग्राह्य है, मानवमात्र के लिए जीवन की सम्यक प्रकार से जीवन धारणा, समाज धारणा के लिए विशेषमान जीवन का दृष्टिकोण है।

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार संप्रदाय और धर्म में मूलभूत अंतर क्या है?

  1. संप्रदाय ही धर्म है
  2. धर्म व्यक्तिगत होता है
  3. धर्म समाज की धारणा करता है
  4. संप्रदाय को धर्म की संज्ञा देना सही है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : धर्म समाज की धारणा करता है

गद्यांश Question 10 Detailed Solution

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार संप्रदाय और धर्म में मूलभूत अंतर है- धर्म समाज की धारणा करता है

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार -
    • संप्रदाय, मत, पंथ या मजहब को धर्म नहीं कहा जा सकता।
    • धर्म तो समाज की धारणा करता है। धर्म तो समाज के नियमों को कहते हैं।
    • वे नियम जिन्हें समाज व्यवस्थित रूप से चलता है, धर्मनियम (Rule of Law) के परिचायक हैं।
    • धर्म और संप्रदाय का यही मूलभूत अंतर है।

Additional Information अन्य विकल्प -

  • संप्रदाय ही धर्म है - यह गद्यांश के विपरीत है, क्योंकि गद्यांश में स्पष्ट किया गया है कि संप्रदाय को धर्म नहीं कहा जा सकता।
  • धर्म व्यक्तिगत होता है - यह भी सही नहीं है क्योंकि गद्यांश में धर्म को समाज की धारणा के रूप में बताया गया है।
  • संप्रदाय को धर्म की संज्ञा देना सही है - यह भी गद्यांश के विपरीत है, क्योंकि गद्यांश में कहा गया है कि संप्रदाय को धर्म नहीं कहा जा सकता।
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