रीतिकाल MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for रीतिकाल - मोफत PDF डाउनलोड करा
Last updated on Apr 15, 2025
Latest रीतिकाल MCQ Objective Questions
Top रीतिकाल MCQ Objective Questions
रीतिकाल Question 1:
जयपुर नरेश प्रताप सिंह ने किस रीतिकालीन कवि को कविराज शिरोमणि की उपाधि दी थी?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 1 Detailed Solution
"जयपुर नरेश प्रताप सिंह" ने "पद्माकर भट्ट" को "कविराज शिरोमणि" की उपाधि दी थी। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) पद्माकर भट्ट सही है तथा अन्य विकल्प संगत है।
Key Points
पद्माकर भट्ट ने होली ,फाग और त्योहारों का वर्णन पूरी तल्लीनता से किया है।
पद्माकर की भाषा सरस, काव्यमय, सुव्यवस्थित और प्रवाहपूर्ण है।
अनुप्रास द्वारा ध्वनिचित्र खड़ा करने में वे सिद्धहस्त हैं। काव्य-गुणों का पूरा निर्वाह उनके छंदों में हुआ है।
छंदानुशासन और काव्य-प्रवाह की दृष्टि से दोहा, सवैया और कवित्त पर असाधारण अधिकार पद्माकर का था
Additional Information
- पद्माकर भट्ट की प्रसिद्ध रचनाएं निम्नलिखित हैं :-
- हिम्मतबहादुर विरुदावली
- पद्माभरण
- जगद्विनोद
- रामरसायन (अनुवाद)
- गंगालहरी
- आलीजाप्रकाश
- प्रतापसिंह विरूदावली
- प्रबोध पचासा
- ईश्वर-पचीसी
- यमुनालहरी
- प्रतापसिंह-सफरनामा
- भग्वत्पंचाशिका
- राजनीति
- कलि-पचीसी
- रायसा
- हितोपदेश भाषा (अनुवाद)
- अश्वमेध
रीतिकाल Question 2:
पद्माकर का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ किसे माना जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर 'प्रबोध पचासा' हैं।
Key Points
- पद्माकर रीतिबद्ध कवि हैं।
- इनका समय 1753-1833 हैं।
- पद्माकर दौलत राव सिन्धिया, भीम सिंह, हिम्मत बहादुर, के दरबारी कवि थे।
- पद्माकर की प्रमुख रचनाएँः-
- हिम्मत बहादुर विरुदावली
- पद्माभरण
- जगत विनोद
- प्रबोध पचासा
- गंगालहरी
- कलि पच्चीसी आदि।
Additional Information
रचना | रचनाकार |
गीतावली | तुलसीदास |
नल दमयंती | राजा रवि वर्मा |
भूमिजा | नागार्जुन |
रीतिकाल Question 3:
बिहारी सतसई में कितने दोहे हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 3 Detailed Solution
बिहारी सतसई में दोहे की संख्या '713' हैं।
Key Points
- बिहारी सतसई के रचनाकार बिहारीलाल है।
- बिहारी रीतिसिद्ध धारा के प्रमुख कवि है।
- बिहारीलाल का समय (1595-1663) ई. है।
- बिहारी महाराज जय सिंह के आश्रयदाता कवि थे।
- बिहारी सतसई की भाषा ब्रज है।
- जगन्नाथ दास रत्नाकर और सर्वमान्य मत दोहों की संख्या 713 ही मानी जाती है।
Additional Informationबिहारी सतसई पर लिखि गई टीका और टीकाकारः-
टीकाकार | टीका |
कृष्णकवि | कृष्णलाल की टीका |
सूरति मिश्र | अमर चंद्रिका |
लल्लू लाल | लालचंद्रिका |
प्रभुदयाल पांडेय | प्रभुदयाल पांडे की टीका |
अम्बिकादत्त व्यास | बिहारी बिहार |
पद्मसिंह शर्मा | संजीवनी भाष्य |
आन्नदीलाल शर्मा | फिरंगे सतसई |
जगन्नाथदास रत्नाकर | बिहारी रत्नाकर (1921ई.) |
Important Points
- जार्ज ग्रियसन के अनुसार यूरोप में बिहारी सतसई के समकक्ष कोई रचना नहीं हैं।
- श्रीराधा चरण गोस्वामी ने बिहारी को पीयूषवर्षी मेघ की उपमा दी हैं।
रीतिकाल Question 4:
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 4 Detailed Solution
मतिराम का प्रथम ग्रंथ फूल मंजरी है। उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) फूल मंजरी सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- फूल मंजरी में 60 दोहे हैं।
- फूल मंजरी को मतिराम ने जहांगीर को समर्पित किया है जो कि उनके आश्रयदाता रह चुके है।
- मतिराम का जन्म सन 1617
- ऐसे तो सिद्ध है की प्रथम 'फूल मंजरी' है पर डॉक्टर बच्चन सिंह के अनुसार "रसराज" मतीराम का प्रथम ग्रंथ है।
Additional Information
मतिराम की रचनाएं निम्नलिखित हैं:-
मतिराम नाम के दूसरे रचनाकार भी हैं जिनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं:-
- अलंकार पंचासिका
- छंदसार (पिंगल) संग्रह या वृत्तकौमुदी
- साहित्यसार
- लक्षणशृंगार
रीतिकाल Question 5:
राजनीतिक रूप से रीतिकाल मुगलों के शासन के वैभव के:
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 5 Detailed Solution
राजनीतिक रूप से रीतिकाल मुगलों के शासन वैभव के चरमोत्कर्ष के बाद उत्तरोत्तर ह्रास और पतन का युग है। अतः उपयुक्त विकल्पों में से विकल्प "चरम उत्कर्ष के बाद उत्तरोत्तर ह्रास और पतन का युग सही है' तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- मुगलों के शासन काल का प्रारंभ बाबर द्वारा 1526 ईस्वी में हुआ । अंतिम सशक्त शासक औरंगजेब (1658 -1707 ईस्वी) था।
- इसी समय में रीतिकाल 1643 -1843 तक माना गया है।
- अतः समय और राजनीतिक रुप दोनों आधारों पर रीतिकाल मुगलों के उत्तरोत्तर ह्रास और पतन का युग है।
- रीतिकाल की तीन काव्य धाराएं हैं:-
- रीतिबद्ध काव्य
- रीति सिद्ध काव्य
- रीतिमुक्त काव्य
Additional Information
रीतिकाल के प्रमुख कवि वह उनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं:-
रीतिकाल Question 6:
भूषण का वास्तविक नाम था
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 6 Detailed Solution
सही उत्तर है - घनश्याम।
Key Pointsभूषण(1613-1705):-
- रीतिकालीन लेखकों में भूषण प्रसिद्ध कवि थे जिनका वास्तविक नाम घनश्याम था।
- शिवराज भूषण ग्रंथ के एक दोहे के अनुसार 'भूषण' उनकी उपाधि है जो उन्हें चित्रकूट के राजा हृदयराम के पुत्र रुद्रशाह ने प्रदान की थी।
- भूषण का काव्य छत्रपति शिवाजी और बुन्देलखण्ड के राजा छत्रसाल का समकालीन माना जाता है।
- भूषण मध्य प्रदेश के एक प्रमुख मध्यकालीन साहित्यकार थे, जो 17वीं शताब्दी में रहते थे।
Additional Information
- भूषण रीतिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं।
- वीर रस की प्रमुखता वाली रचनायें की।
- भूषण के काव्य की भाषा ब्रजभाषा थी।
-
प्रमुख रचनाएँ-
- शिवराजभूषण
- शिवाबावनी
- छत्रसालदशक
- भूषण उल्लास
- भूषण हजारा
- दूषनोल्लासा।
रीतिकाल Question 7:
"नैन नचाई, कहो मुस्काई, लला फिर आएवो खेलन होरी".....पंक्तियाँ है:-
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 7 Detailed Solution
"नैन नचाई,कहो मुस्काई,लला फिर आएवो खेलन होरी"...पंक्तियाँ-4) पद्माकर की है।
Important Points
- रीतिकाल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- पद्माकर रचित ग्रंथों में सबसे जाने माने संग्रहों में-हिम्मतबहादुर विरुदावली,पद्माभरण,जगद्विनोद,रामरसायन (अनुवाद),प्रतापसिंह विरूदावली, प्रबोध पचासा आदि हैं।
- पद्माकर ने सजीव मूर्त विधान करने वाली कल्पना के माध्यम से शौर्य,शृंगार,प्रेम,भक्ति,राजदरबार की सम्पन्न गतिविधियों,मेलो-उत्सवों,युद्धों और प्रकृति-सौन्दर्य का मार्मिक चित्रण किया है।
- पद्माकर रीतिबद्ध कवि हैं।
रीतिकाल Question 8:
निम्नलिखित में से रीतिकाल के कवि हैं-
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 8 Detailed Solution
'वृंद' रीतिकाल के कवि हैं, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 3 'वृंद' सही उत्तर होगा।
Key Points
- रीतिकालीन परंपरा के अंन्तर्गत वृन्द जी का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।
- इनका पूरा नाम वृन्दावनदास था।
- वृन्द जी को कविताओं के माध्यम से कई बार सम्मानित पुरस्कारों से नवाजा गया।
- इसके चलते वृन्द जी का कविता के विषय में मनोवल बढता गया और वृन्द जी श्रेष्ठ कवि के रूप में पहिचाने जाने लगे।
- ‘वृंद-सतसई कवि वृन्द जी की सबसे प्रसद्धि रचनाओं में से एक है. जिसमें 700 दोहे हैं।
Additional Information
- हिन्दी साहित्य का उत्तर मध्यकाल रीतिकाल कहलाता है,रीतिकाल समृद्धि और विलासिता का काल कहा जाता है।
- हिंदी साहित्य में सम्वत् 1700 से 1900 (वर्ष 1643ई. से 1843 ई. तक) का समय रीतिकाल के नाम से जाना जाता है ।
- भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का पूर्व मध्यकाल और रीतिकाल को उत्तर-मध्य काल भी कहा जाता है ।
- भक्ति काल और रीति काल दोनों के काल को हिंदी साहित्य का मध्यकाल कहा जा सकता है ।
- रीतिकाल के कवियों में केशवदास और चिंतामणि का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है ।
- सर्वामान्य रूप से केशवदास को ही रीतिकाल का प्रवर्त्तक कवि माना गया है ।
- रीतिकाल के कवियों को मुख्यत: तीन वर्गों में रखा गया है :-
- रीतिग्रंथकार कवि या लक्षण बद्ध कवि या रीतिबद्ध कवि
- रीतिसिद्ध कवि
- रीतिमुक्त कवि
रीतिकाल Question 9:
'रसखान' का साहित्य इनमें से कौन सा नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 9 Detailed Solution
'रसखान' का साहित्य इनमें से नहीं है- शिवराज भूषण
- 'शिवराज भूषण', कवि भूषण की प्रसिद्ध रचना है।
Key Pointsशिवराज भूषण-
- रचनाकार- भूषण
- विधा- कविता
- विषय-
- इसमें शिवाजी के कार्यकलापों का वर्णन किया गया है।
Mistake Pointsदान लीला-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता
प्रेम वाटिका-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता
- दोहा - 53
- विषय-
- इस कृति में रसखान ने प्रेम का स्पष्ट रूप में चित्रण किया है।
सुजान रसखान-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता (सवैया)
Important Pointsरसखान-
- जन्म-1548-1628 ई.
- हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- मुख्य रचनाएँ-
- सुजान रसखान
- प्रेमवाटिका
- दान लीला
- रसखान दोहावली
- रसखान गीतावली
भूषण-
- जन्म- 1613-1715 ई.
- यह वीर रस के कवि थे।
- मुख्य रचनाएँ-
- शिवराजभूषण
- शिवाबावनी
- छत्रसालदशक
रीतिकाल Question 10:
रीतिकालीन कवि बिहारी किसके आश्रयित कवि थे?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 10 Detailed Solution
रीतिकालीन कवि बिहारी महाराजा जयसिंह के आश्रयित कवि थे।
महाराजा जयसिंह-
- जन्म-1611-1667 ई.
- अन्य नाम-मिर्ज़ा राजा जयसिंह, जयसिंह प्रथम
- आमेर के राजा तथा मुग़ल साम्राज्य के वरिष्ठ सेनापति (मिर्ज़ा राजा) थे।
- जयसिंह वीर सेनानायक और कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ ही साथ साहित्य और कला का भी बड़ा प्रेमी था।
- उसी के आश्रय में कविवर बिहारी लाल ने अपनी सुप्रसिद्ध 'बिहारी सतसई' की रचना सन 1662 ई. में की थी।
Key Pointsबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- रीतिकाल की रीतिसिद्ध शाखा के प्रमुख कवि रहे है।
- अकबर के शासन के अंतिम दिनों से लेकर औरंगजेब के शासन के शुरुआती दिनों टक उनका जीवन काल फैला हुआ है।
- रचना-बिहारी सतसई
- दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य है
- 713 दोहे है।
Important Pointsबिहारी के लिए विद्वानों के कुछ कथन-
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- "यदि प्रबंधकाव्य एक विस्तृत वनस्थली है तो मुक्तक एक चुना हुआ गुलदस्ता है।"
- पद्म सिंह शर्मा ने इनके काव्य को 'शक्कर की रोटी' कहा है।
- राधाकृष्ण दास-
- "यदि सूर सूर हैं, तुलसी शशि और उडगन केशवदास हैं तो बिहारी उस पीयूष वर्षी मेघ के समान हैं जिसके उदय होते ही सबका प्रकाश आछन्न हो जाता है।"
Additional Informationमहाराज छत्रसाल-
- जन्म-1649-1731 ई.
- भारत के मध्ययुग के एक महान प्रतापी योद्धा थे।
- मुगल शासक औरंगज़ेब को युद्ध में पराजित करके बुन्देलखण्ड में अपना राज्य स्थापित किया और ' महाराजा ' की पदवी प्राप्त की।
- बुन्देलखण्ड केसरी के नाम से विख्यात थे।
- भूषण इनका दरबारी कवि था, उसने 'छत्रसाल दशक' ग्रंथ में महाराज छत्रसाल की प्रसंशा की है।
छत्रपति शिवाजी महाराज-
- जन्म-1630-1680 ई.
- भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी।
- इसके लिए उन्होंने मुगल साम्राज्य के शासक औरंगज़ेब से संघर्ष किया।
- सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने।
- भूषण इनका दरबारी कवि था, उसने 'शिवराज भूषण' व 'शिवाबावनी' ग्रंथ में महाराज शिवाजी की प्रसंशा की है।