हिन्दी साहित्य का इतिहास MCQ Quiz - Objective Question with Answer for हिन्दी साहित्य का इतिहास - Download Free PDF
Last updated on Jun 20, 2025
Latest हिन्दी साहित्य का इतिहास MCQ Objective Questions
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 1:
अपभ्रंश को ण-ण भाषा किसने कहा?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 1 Detailed Solution
अपभ्रंश को ण-ण भाषा किशोरीदास वाजपेयी ने कहा।
अत: विकल्प 2 सही उत्तर है, अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- किशोरीदास वाजपेयी ने अपभ्रंश को ण-ण भाषा कहा।
- भाषा के संदर्भ में अपभ्रंश का प्रयोग छठी सताब्ती में शुरुआत में हुआ।
- डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार भाषा के अर्थ में 'अपभ्रंश' शब्द का प्रथम प्रयोग चण्ड ने अपने 'प्राकृत - लक्षण' ग्रंथ में किया है।
- 'अपभ्रंश' शब्द का सर्वप्रथम प्रामाणिक प्रयोग पतंजलि के ‘महाभाष्य' में मिलता है।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार अपभ्रंश नाम पहले पहल बलभी के राजा धारसेन द्वितीय के शिलालेख में मिलता है।
Additional Information
- आचार्या दण्डी के काव्यशास्त्रीय ग्रंथ का नाम काव्यादर्श है।
- नाट्यशास्त्र भरतमुनि का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है।
- डॉ. भोलानाथ तिवारी हिन्दी के कोशकार, भाषावैज्ञानिक एवं भाषाचिन्तक थे।
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 2:
रुद्र संप्रदाय के प्रवर्तक कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 2 Detailed Solution
रुद्र संप्रदाय के प्रवर्तक है- विष्णु स्वामी
Key Pointsवल्लभ सम्प्रदाय-
- अन्य नाम- रुद्र सम्प्रदाय
- दार्शनिक मत- शुद्धाद्वैतवाद
- प्रवर्तक- विष्णु स्वामी,वल्लभाचार्य
- इस सम्प्रदाय में कृष्ण पूर्णानंद स्वरूप पूर्ण पुरूषोत्तम परब्रह्म हैं।
- इनकी भक्ति पुष्टि मार्ग की है।
- 'पुष्टि' भगवान के आग्रह या कृपा को कहा जाता है।
- अनुयायी-
- कुम्भनदास, सूरदास, परमानंद दास, कृष्णदास, छित स्वामी, नंददास आदि।
Important Pointsविभिन्न दर्शन इस प्रकार है-
दर्शन | प्रवर्तक | सम्प्रदाय |
विशिष्टाद्वैतवाद | रामानुजाचार्य | श्री सम्प्रदाय |
द्वैतवाद | मध्वाचार्य | ब्रह्म संप्रदाय |
अद्वैतवाद | शंकराचार्य | स्मार्त सम्प्रदाय |
शुद्धाद्वैतवाद | विष्णु स्वामी | रूद्र सम्प्रदाय |
द्वैताद्वैतवाद | निम्बर्काचार्य | सनकादि संप्रदाय |
शुद्धाद्वैतवाद | बल्लभाचार्य | रूद्र संप्रदाय |
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 3:
पुष्टि मार्ग के प्रवर्तक कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 3 Detailed Solution
पुष्टि मार्ग के प्रवर्तक है- बल्लभाचार्य
Key Pointsवल्लभ सम्प्रदाय-
- अन्य नाम- रुद्र सम्प्रदाय
- दार्शनिक मत- शुद्धाद्वैतवाद
- प्रवर्तक- विष्णु स्वामी,वल्लभाचार्य
- इस सम्प्रदाय में कृष्ण पूर्णानंद स्वरूप पूर्ण पुरूषोत्तम परब्रह्म हैं।
- इनकी भक्ति पुष्टि मार्ग की है।
- 'पुष्टि' भगवान के आग्रह या कृपा को कहा जाता है।
- अनुयायी-
- कुम्भनदास, सूरदास, परमानंद दास, कृष्णदास, छित स्वामी, नंददास आदि।
Important Pointsविभिन्न दर्शन इस प्रकार है-
दर्शन | प्रवर्तक | सम्प्रदाय |
विशिष्टाद्वैतवाद | रामानुजाचार्य | श्री सम्प्रदाय |
द्वैतवाद | मध्वाचार्य | ब्रह्म संप्रदाय |
अद्वैतवाद | शंकराचार्य | स्मार्त सम्प्रदाय |
शुद्धाद्वैतवाद | विष्णु स्वामी | रूद्र सम्प्रदाय |
द्वैताद्वैतवाद | निम्बर्काचार्य | सनकादि संप्रदाय |
शुद्धाद्वैतवाद | बल्लभाचार्य | रूद्र संप्रदाय |
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 4:
तीसरा विश्व हिन्दी सम्मेलन इनमें से किस स्थान पर हुआ था?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 4 Detailed Solution
तीसरा विश्व हिन्दी सम्मेलन हुआ था- दिल्ली
Key Points
- तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन भारत की राजधानी दिल्ली में 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर 1983 तक किया गया।
- सम्मेलन के लिये बनी राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष डॉ॰ बलराम जाखड़ थे।
- इसमें मॉरीशस से आये प्रतिनिधिमण्डल ने भी हिस्सा लिया जिसके नेता थे श्री हरीश बुधू।
- हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री सुश्री महादेवी वर्मा समापन समारोह की मुख्य अतिथि थीं।
- इस अवसर पर उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था -
- "भारत के सरकारी कार्यालयों में हिन्दी के कामकाज की स्थिति उस रथ जैसी है जिसमें घोड़े आगे की बजाय पीछे जोत दिये गये हों।"
Additional Informationविश्व हिंदी सम्मेलनों की सूची में-
- पहला सम्मेलन 10-14 जनवरी 1975 को नागपुर, भारत में आयोजित किया गया था।
- दूसरा सम्मेलन 28-30 अगस्त 1976 को पोर्ट लुई, मॉरीशस में हुआ था।
- तीसरा सम्मेलन 28-30 अक्टूबर 1983 को नई दिल्ली, भारत में हुआ था।
- चौथा सम्मेलन 2-4 दिसंबर 1993 को पोर्ट लुई, मॉरीशस में हुआ था।
- पांचवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 4-8 अप्रैल 1996 को पोर्ट ऑफ स्पेन, त्रिनिदाद और टोबैगो में हुआ था।
- छठा विश्व हिंदी सम्मेलन: 14-18 सितंबर 1999 को लंदन, यूके में हुआ था।
- सातवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 6-9 जून 2003 को पारामारिबो, सूरीनाम में हुआ था।
- आठवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 13-15 जुलाई 2007 को न्यूयार्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था।
- नौवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 22-24 सितंबर 2012 को जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में हुआ था।
- दसवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 10-12 सितंबर 2015 को भोपाल, भारत में हुआ था।
- ग्यारहवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 18-20 अगस्त 2018 को पोर्ट लुई, मॉरीशस में हुआ था।
- बारहवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 15-17 फरवरी 2023 को नांदी, फिजी में हुआ था।
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 5:
इनमें से हिंदी की वह चर्चित रचना कौन-सी है जिस पर लोकप्रिय टीवी सीरियल बना था?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 5 Detailed Solution
इनमें से हिंदी की वह चर्चित रचना है जिस पर लोकप्रिय टीवी सीरियल बना था- चंद्रकांता
Key Pointsचंद्रकांता-
- रचनाकार- देवकी नंदन खत्री
- प्रकाशन वर्ष- 1888 ई.
- विधा- उपन्यास
- मुख्य पात्र- विजयगढ़ की राजकुमारी चंद्रकांता और नौगढ़ के राजकुमार वीरेंद्र सिंह आदि।
- विषय-
- यह कहानी एक प्रेम, रहस्य और रोमांच से भरी हुई है।
Important Pointsपरीक्षागुरु-
- रचनाकार- लाला श्रीनिवास दास
- प्रकाशन वर्ष- 1882 ई.
- विधा- उपन्यास
- विषय-
- इसे 1974 में रामदरस मिश्र द्वारा एक परिचय के साथ पुनर्मुद्रित किया गया था।
गोदान-
- रचनाकार- प्रेमचंद
- प्रकाशन वर्ष- 1936 ई.
- विधा- उपन्यास
- मुख्य पात्र- होरी, राय साहब, मेहता, मालती, गोविंदी आदि।
- विषय-
- भारतीय किसान जीवन की महागाथा का वर्णन है।
आधा गाँव-
- रचनाकार- राही मासूम रज़ा
- प्रकाशन वर्ष- 1966 ई.
- विधा- उपन्यास
- विषय-
- यह उपन्यास उत्तर प्रदेश के जनपद गाजीपुर से लगभग ग्यारह मील दूर बसे गांव गंगौली के शिया समाज की कहानी कहता है।
Additional Informationबाबू देवकीनन्दन खत्री
- जन्म - 1861 - 1913 ई.
- हिंदी के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- चन्द्रकान्ता (1888 - 1892)
- चन्द्रकान्ता सन्तति (1894-1904)
- भूतनाथ (1907-1913) (अपूर्ण)
- अन्य रचनाएँ-
- कुसुम कुमारी
- वीरेन्द्र वीर उर्फ कटोरा भर ख़ून
- काजर की कोठरी
- अनूठी बेगम
- नरेन्द्र मोहिनी
- गुप्त गोदना।
Top हिन्दी साहित्य का इतिहास MCQ Objective Questions
तीसरा विश्व हिन्दी सम्मेलन इनमें से किस स्थान पर हुआ था?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFतीसरा विश्व हिन्दी सम्मेलन हुआ था- दिल्ली
Key Points
- तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन भारत की राजधानी दिल्ली में 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर 1983 तक किया गया।
- सम्मेलन के लिये बनी राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष डॉ॰ बलराम जाखड़ थे।
- इसमें मॉरीशस से आये प्रतिनिधिमण्डल ने भी हिस्सा लिया जिसके नेता थे श्री हरीश बुधू।
- हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री सुश्री महादेवी वर्मा समापन समारोह की मुख्य अतिथि थीं।
- इस अवसर पर उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था -
- "भारत के सरकारी कार्यालयों में हिन्दी के कामकाज की स्थिति उस रथ जैसी है जिसमें घोड़े आगे की बजाय पीछे जोत दिये गये हों।"
Additional Informationविश्व हिंदी सम्मेलनों की सूची में-
- पहला सम्मेलन 10-14 जनवरी 1975 को नागपुर, भारत में आयोजित किया गया था।
- दूसरा सम्मेलन 28-30 अगस्त 1976 को पोर्ट लुई, मॉरीशस में हुआ था।
- तीसरा सम्मेलन 28-30 अक्टूबर 1983 को नई दिल्ली, भारत में हुआ था।
- चौथा सम्मेलन 2-4 दिसंबर 1993 को पोर्ट लुई, मॉरीशस में हुआ था।
- पांचवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 4-8 अप्रैल 1996 को पोर्ट ऑफ स्पेन, त्रिनिदाद और टोबैगो में हुआ था।
- छठा विश्व हिंदी सम्मेलन: 14-18 सितंबर 1999 को लंदन, यूके में हुआ था।
- सातवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 6-9 जून 2003 को पारामारिबो, सूरीनाम में हुआ था।
- आठवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 13-15 जुलाई 2007 को न्यूयार्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था।
- नौवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 22-24 सितंबर 2012 को जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में हुआ था।
- दसवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 10-12 सितंबर 2015 को भोपाल, भारत में हुआ था।
- ग्यारहवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 18-20 अगस्त 2018 को पोर्ट लुई, मॉरीशस में हुआ था।
- बारहवां विश्व हिंदी सम्मेलन: 15-17 फरवरी 2023 को नांदी, फिजी में हुआ था।
इनमें से हिंदी की वह चर्चित रचना कौन-सी है जिस पर लोकप्रिय टीवी सीरियल बना था?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFइनमें से हिंदी की वह चर्चित रचना है जिस पर लोकप्रिय टीवी सीरियल बना था- चंद्रकांता
Key Pointsचंद्रकांता-
- रचनाकार- देवकी नंदन खत्री
- प्रकाशन वर्ष- 1888 ई.
- विधा- उपन्यास
- मुख्य पात्र- विजयगढ़ की राजकुमारी चंद्रकांता और नौगढ़ के राजकुमार वीरेंद्र सिंह आदि।
- विषय-
- यह कहानी एक प्रेम, रहस्य और रोमांच से भरी हुई है।
Important Pointsपरीक्षागुरु-
- रचनाकार- लाला श्रीनिवास दास
- प्रकाशन वर्ष- 1882 ई.
- विधा- उपन्यास
- विषय-
- इसे 1974 में रामदरस मिश्र द्वारा एक परिचय के साथ पुनर्मुद्रित किया गया था।
गोदान-
- रचनाकार- प्रेमचंद
- प्रकाशन वर्ष- 1936 ई.
- विधा- उपन्यास
- मुख्य पात्र- होरी, राय साहब, मेहता, मालती, गोविंदी आदि।
- विषय-
- भारतीय किसान जीवन की महागाथा का वर्णन है।
आधा गाँव-
- रचनाकार- राही मासूम रज़ा
- प्रकाशन वर्ष- 1966 ई.
- विधा- उपन्यास
- विषय-
- यह उपन्यास उत्तर प्रदेश के जनपद गाजीपुर से लगभग ग्यारह मील दूर बसे गांव गंगौली के शिया समाज की कहानी कहता है।
Additional Informationबाबू देवकीनन्दन खत्री
- जन्म - 1861 - 1913 ई.
- हिंदी के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- चन्द्रकान्ता (1888 - 1892)
- चन्द्रकान्ता सन्तति (1894-1904)
- भूतनाथ (1907-1913) (अपूर्ण)
- अन्य रचनाएँ-
- कुसुम कुमारी
- वीरेन्द्र वीर उर्फ कटोरा भर ख़ून
- काजर की कोठरी
- अनूठी बेगम
- नरेन्द्र मोहिनी
- गुप्त गोदना।
रुद्र संप्रदाय के प्रवर्तक कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFरुद्र संप्रदाय के प्रवर्तक है- विष्णु स्वामी
Key Pointsवल्लभ सम्प्रदाय-
- अन्य नाम- रुद्र सम्प्रदाय
- दार्शनिक मत- शुद्धाद्वैतवाद
- प्रवर्तक- विष्णु स्वामी,वल्लभाचार्य
- इस सम्प्रदाय में कृष्ण पूर्णानंद स्वरूप पूर्ण पुरूषोत्तम परब्रह्म हैं।
- इनकी भक्ति पुष्टि मार्ग की है।
- 'पुष्टि' भगवान के आग्रह या कृपा को कहा जाता है।
- अनुयायी-
- कुम्भनदास, सूरदास, परमानंद दास, कृष्णदास, छित स्वामी, नंददास आदि।
Important Pointsविभिन्न दर्शन इस प्रकार है-
दर्शन | प्रवर्तक | सम्प्रदाय |
विशिष्टाद्वैतवाद | रामानुजाचार्य | श्री सम्प्रदाय |
द्वैतवाद | मध्वाचार्य | ब्रह्म संप्रदाय |
अद्वैतवाद | शंकराचार्य | स्मार्त सम्प्रदाय |
शुद्धाद्वैतवाद | विष्णु स्वामी | रूद्र सम्प्रदाय |
द्वैताद्वैतवाद | निम्बर्काचार्य | सनकादि संप्रदाय |
शुद्धाद्वैतवाद | बल्लभाचार्य | रूद्र संप्रदाय |
पुष्टि मार्ग के प्रवर्तक कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFपुष्टि मार्ग के प्रवर्तक है- बल्लभाचार्य
Key Pointsवल्लभ सम्प्रदाय-
- अन्य नाम- रुद्र सम्प्रदाय
- दार्शनिक मत- शुद्धाद्वैतवाद
- प्रवर्तक- विष्णु स्वामी,वल्लभाचार्य
- इस सम्प्रदाय में कृष्ण पूर्णानंद स्वरूप पूर्ण पुरूषोत्तम परब्रह्म हैं।
- इनकी भक्ति पुष्टि मार्ग की है।
- 'पुष्टि' भगवान के आग्रह या कृपा को कहा जाता है।
- अनुयायी-
- कुम्भनदास, सूरदास, परमानंद दास, कृष्णदास, छित स्वामी, नंददास आदि।
Important Pointsविभिन्न दर्शन इस प्रकार है-
दर्शन | प्रवर्तक | सम्प्रदाय |
विशिष्टाद्वैतवाद | रामानुजाचार्य | श्री सम्प्रदाय |
द्वैतवाद | मध्वाचार्य | ब्रह्म संप्रदाय |
अद्वैतवाद | शंकराचार्य | स्मार्त सम्प्रदाय |
शुद्धाद्वैतवाद | विष्णु स्वामी | रूद्र सम्प्रदाय |
द्वैताद्वैतवाद | निम्बर्काचार्य | सनकादि संप्रदाय |
शुद्धाद्वैतवाद | बल्लभाचार्य | रूद्र संप्रदाय |
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 10:
'छायावादोत्तर काल' को नवलेखन काल में उपभाषित किस साहित्यकार ने किया है?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 10 Detailed Solution
'छायावादोत्तर काल' को नवलेखन काल में उपभाषित डॉ. नगेन्द्र साहित्यकार ने किया है।
Key Pointsडॉ. नगेंद्र द्वारा संपादित 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' का काल विभाजन हैं-
- आदिकाल
- भक्तिकाल
- रीतिकाल
- आधुनिक काल
- पुनर्जागरण काल
- जागरण-सुधार काल
- छायावाद काल
- छायावादोत्तर काल
- प्रगति-प्रयोग काल
- नवलेखन काल
Important Pointsरामचन्द्र शुक्ल का काल विभाजन हैं-
- वीरगाथाकाल
- भक्तिकाल
- रीतिकाल
- गद्यकाल
रामस्वरूप चतुर्वेदी का काल विभाजन हैं-
- आदिकाल
- पूर्व-मध्यकाल
- उत्तर-मध्यकाल
- आधुनिक काल
डॉ. बच्चन सिंह का काल विभाजन हैं-
- अपभ्रंश काल
- भक्तिकाल
- रीतिकाल
- आधुनिक काल
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 11:
अपभ्रंश को ण-ण भाषा किसने कहा?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 11 Detailed Solution
अपभ्रंश को ण-ण भाषा किशोरीदास वाजपेयी ने कहा।
अत: विकल्प 2 सही उत्तर है, अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- किशोरीदास वाजपेयी ने अपभ्रंश को ण-ण भाषा कहा।
- भाषा के संदर्भ में अपभ्रंश का प्रयोग छठी सताब्ती में शुरुआत में हुआ।
- डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार भाषा के अर्थ में 'अपभ्रंश' शब्द का प्रथम प्रयोग चण्ड ने अपने 'प्राकृत - लक्षण' ग्रंथ में किया है।
- 'अपभ्रंश' शब्द का सर्वप्रथम प्रामाणिक प्रयोग पतंजलि के ‘महाभाष्य' में मिलता है।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार अपभ्रंश नाम पहले पहल बलभी के राजा धारसेन द्वितीय के शिलालेख में मिलता है।
Additional Information
- आचार्या दण्डी के काव्यशास्त्रीय ग्रंथ का नाम काव्यादर्श है।
- नाट्यशास्त्र भरतमुनि का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है।
- डॉ. भोलानाथ तिवारी हिन्दी के कोशकार, भाषावैज्ञानिक एवं भाषाचिन्तक थे।
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 12:
मिश्र बंधु के प्रसिद्ध साहित्येतिहास ग्रंथ 'मिश्र बंधु विनोद' में कितने खंड हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 12 Detailed Solution
'मिश्र बंधु विनोद' 4 खण्डों में है।
Key Points
- यह साहित्यिक इतिहास तीन लेखकों गणेशबिहारी मिश्र, शुकदेवबिहारी मिश्र तथा श्यामबिहारी मिश्र आदि का मिला-जुला प्रयास है।
- मिश्रबंधु नाम के तीन सहोदर भाई थे, गणेशबिहारी, श्यामबिहारी और शुकदेवबिहारी।
- ग्रंथ ही नहीं एक -एक छंद तक की रचना भी तीनों जुटकर करते थे।
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 13:
रामकुमार वर्मा के
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 13 Detailed Solution
रामकुमार वर्मा के अनुसार हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल - विभाजन का संगत वर्ग है: संधिकाल, चारणकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल
Key Pointsरामकुमार वर्मा के अनुसार काल विभाजन-
- प्रारंभिक काल-
- संधिकाल(सं. 750-1000 वि.)
- चारणकाल(सं. 1000-1375 वि.)
- भक्तिकाल(सं. 1375-1700 वि.)
- रीतिकाल(सं. 1700-1900 वि.)
- आधुनिक काल(सं. 1900 वि. से अब तक)
Important Pointsआदिकाल का नामकरण-
- वीरगाथाकाल-रामचन्द्र शुक्ल
- अपभ्रंशकाल-धीरेन्द्र वर्मा
- सिद्ध-सामंतकाल-राहुल सांकृत्यायन
भक्तिकाल का नामकरण-
- पूर्वमध्यकाल-गणपतिचंद्र गुप्त
- स्वर्ण युग-जॉर्ज ग्रियर्सन
रीतिकाल का नामकरण-
- उत्तरमध्यकाल-गणपतिचंद्र गुप्त
- रीतिकाल-जॉर्ज ग्रियर्सन, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
- अलंकृत काल-मिश्र बंधु
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 14:
सही मिलान करे-
इतिहास ग्रंथ | प्रकाशन वर्ष |
A. आधुनिक हिन्दी का आदिकाल | I-1981 |
B. हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास | II- 2003 |
C. हिन्दी साहित्य का आधा इतिहास | III- 1996 |
D. साहित्य एवं इतिहास दृष्टि | IV- 1973 |
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 14 Detailed Solution
सही मिलान है-
इतिहास ग्रंथ | प्रकाशन वर्ष |
A. आधुनिक हिन्दी का आदिकाल | IV-1973 |
B. हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास | III- 1996 |
C. हिन्दी साहित्य का आधा इतिहास | II- 2003 |
D. साहित्य एवं इतिहास दृष्टि | I- 1981 |
Key Pointsसही है-
इतिहास ग्रंथ | प्रकाशन वर्ष |
आधुनिक हिन्दी का आदिकाल | नारायण चतुर्वेदी |
हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास | बच्चन सिंह |
हिन्दी साहित्य का आधा इतिहास | सुमन राजे |
साहित्य एवं इतिहास दृष्टि | मैनेजर पांडेय |
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 15:
निम्न में से कौन-सा कथन सही हैं?
A. 'तजकिरा-ई-शुअरा-ई-हिन्दी' ग्रंथ मौलवी करीमुद्दीन द्वारा रचित है।
B. इसकी रचना 1858 ई. में हुई है।
C. यह देहली कॉलेज द्वारा प्रकाशित है।
D. इसमें 1000 कवियों का विवरण दिया गया है।
E. इसे 'तबकाश्शुअरा' भी कहा जाता है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन करे-
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी साहित्य का इतिहास Question 15 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल A, C, E
- A. 'तजकिरा-ई-शुअरा-ई-हिन्दी' ग्रंथ मौलवी करीमुद्दीन द्वारा रचित है।
- C. यह देहली कॉलेज द्वारा प्रकाशित है।
- E. इसे 'तबकाश्शुअरा' भी कहा जाता है।
Key Pointsसही है-
- B. इसकी रचना 1948 ई. में हुई है।
- D. इसमें 1004 कवियों का विवरण दिया गया है।
Important Pointsतजकिरा-ई-शुअरा-ई-हिन्दी-
- रचनाकार- मौलवी करीमुद्दीन
- प्रकाशन वर्ष- 1948 ई.
- मुख्य-
- यह देहली कॉलेज द्वारा प्रकाशित है।
- इसमें 1004 कवियों का विवरण दिया गया है जिसमें 62 कवि हिन्दी के है।
- इसमें सर्वप्रथम कालक्रम का ध्यान रखा गया परंतु नामकरण का ध्यान नहीं रखा गया।