आदिकाल MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for आदिकाल - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Apr 21, 2025
Latest आदिकाल MCQ Objective Questions
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आदिकाल Question 1:
'आध्यात्मिक रंग के चश्में आजकल बहुत सस्ते हो गये है।' रामचंद्र शुक्ल ने यह टिप्पणी किस कवि के सन्दर्भ में की है -
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 1 Detailed Solution
- यह टिप्पणी विद्यापति के संदर्भ में आ. शुक्ल ने अपनी पुस्तक हिंदी साहित्य का इतिहास में लिखी है। Key Points
- विद्यापति हिंदी साहित्य के आदिकाल के कवि हैं।
- शृंगार रस के प्रमुख कविI
- मैथिली, संस्कृत, अवहट्ट में रचनाI
- हिन्दी साहित्य में कृष्णगीति परम्परा के प्रवर्तकI
- शैव संप्रदाय से संबंध I
- आश्रय - राजा शिव सिंह और कीर्ति सिंह के राजदरबारी कवि
- उपाधियां - अभिनव जयदेव, मैथिल कोकिल, पंचानन
- रचनायें -
- निराला ने पदावली के श्रृंगारिक पदों की मादकता को ' नागिन की लहर ' कहा है।
- ह. प्र. द्विवेदी के अनुसार - शृंगार रस के सिद्ध वाक् कवि
- बच्चन सिंह ने विद्यापति को 'जातीय कवि' कहा है।
- मुख्य पंक्तियां -
- " देसिल बअना सब जन मिट्ठा। तें तैं सन जंपओ अवहट्ठा।। "
- " हिन्दू बोले दूरहि निकार। छोटउ तुरूका भभकी मार।। "
Important Points
संस्कृत | अवहट्ट | मैथिली |
गंगा वाक्यवली | कीर्तिलता | पदावली |
भू परिक्रमा | कीर्तिपताका | गोरक्ष विजय |
पुरुष परीक्षा | ||
विभाग सार |
Additional Information
आदिकाल Question 2:
शब्दानुशासन किस कवि की रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 2 Detailed Solution
- "शब्दानुशासन" "हेमचंद्र" की रचना है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) हेमचंद्र सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- शब्दानुशासन की रचना संवत 1150 में की गई थी।
- आचार्य हेमचन्द्र (1145-1229) कलिकाल सर्वज्ञ महान गुरु, समाज-सुधारक, धर्माचार्य, गणितज्ञ एवं अद्भुत प्रतिभाशाली मनीषी थे।
- साहित्य, दर्शन, योग, व्याकरण, काव्यशास्त्र, वाङ्मय के सभी अंङ्गो पर नवीन साहित्य की सृष्टि तथा नये पंथ को आलोकित किया।
- हेमचंद जी की कृतियों की सूची निम्नलिखित हैं:-
- काव्यानुशासन
- छन्दानुशासन
- सिद्धहैमशब्दानुशासन (प्राकृत और अपभ्रंश का ग्रन्थ)
- उणादिसूत्रवृत्ति
- अनेकार्थ कोश
- देशीनाममाला
- अभिधानचिन्तामणि
- द्वाश्रय महाकाव्य
- काव्यानुप्रकाश
- त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित
- परिशिष्ट-पर्वन
- अलङ्कारचूडामणि
- प्रमाणमीमांसा
- वीतरागस्तोत्र
Key Points
Additional Information
आदिकाल Question 3:
परमाल रासो किसकी रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 3 Detailed Solution
परमाल रासो आदिकाल के रासो ग्रन्ध के ग्रन्थ जगनिक की रचना है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प जगनिक है।
स्पष्टीकरण
जगनिक हिंदी साहित्य के आदिकाल के कवि माने जाते है। जगनिक कालिंजर के चंदेल राजा परमार्दिदेव (परमाल 1165-1203ई.) के समकालीन भट्ट राव कुल में जन्मे कवि थे इनका पूरा नाम जगनिक राव था। |
इन का आल्हखंड नामक ग्रन्थ लोकप्रसिद्ध हुआ था। |
अन्य विकल्प
कवि |
रचनाएँ |
चंदबरदाई हिंदी साहित्य के आदिकाल के प्रमुख कवि मने जाते हैं।इसका जन्म लाहौर में हुआ था। |
पृथ्वीराज रासो, पद्मावति आदि। |
दलपति विजय हिंदी साहित्य के भक्ति काल के कवि थे। |
खुमान रासो आदि। |
नरपति नाल्ह हिंदी साहित्य के भक्ति काल के कवी थे। |
बीसलदेव रासो आदि। |
आदिकाल Question 4:
इनमें से आदिकाल की कौन-सी रचना गद्य में लिखी गयी है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 4 Detailed Solution
आदिकाल में 'वर्ण रत्नाकार' रचना गद्य में लिखी गयी है।
Key Points
- वर्ण रत्नाकर (14 वी सदी) के रचनाकार ज्योतिरीश्वर ठाकुर है।
वर्ण रत्नाकर से संबंधित अन्य बिंदुः-
- हिन्दी दरबार और भारतीय जीवन पद्धति का यथार्थ चित्रण।
- मैथिली हिंदी मे इसकी रचना हुई है।
- इसका संपादन सुनीति कुमार चटर्जी ने किया है।
Additional Information
रचना | रचनाकार |
जयचंद प्रकाश (महाकाव्य) | केदार भट्ट |
परमाल रासो | जगनिक |
वसंत विलास |
लेखक अज्ञात है। यह एक अलौकिक श्रृंगारिक कृति है। |
Important Pointsआदिकालीन गद्य साहित्यः-
रचना | रचनाकार |
कुवलयमाला कहा (9 वी सदी) | उद्यतन सूरि |
राउलवेल (10 वी सदी) | रोड कवि |
उक्तिव्यक्तिप्रकरण (12 वी सदी) | दामोदर शर्मा |
वर्णरत्नाकर (14 वी सदी) | ज्योतिरीश्वर ठाकुर |
आदिकाल Question 5:
हिंदी का प्रथम महाकाव्य कौन सा है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है - ‘पृथ्वीराज रासो’।
- ‘पृथ्वीराज रासो’ हिंदी का प्रथम महाकाव्य है।
Key Points
- पृथ्वीराज रासो की रचना चंद्रवरदाई ने की है।
- इसकी रचना 12 वीं शताब्दी में हुई थी।
- पृथ्वीराज रासो में 69 सर्ग हैं|
- पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा एक महाकाव्य है जिसमें पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है।
- इसके रचयिता चंदबरदाई पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे और उनकी युद्ध यात्राओं के समय वीर रस की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे।
Additional Information
चंदबरदाई
- जन्म: 1148 ई० लाहौर वर्तमान पाकिस्तान में
- मृत्यु: 1192 ई० गज़नी में
- पृथ्वीराज रासो हिंदी का सबसे बड़ा काव्य-ग्रंथ है। इसमें 10,000 से अधिक छंद हैं और तत्कालीन प्रचलित 6 भाषाओं का प्रयोग किया गया है।
आदिकाल Question 6:
पउमचरिउ किसकी रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 6 Detailed Solution
"पउमचरिउ", "स्वयंभू" की रचना है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) स्वयंभू सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- पउमचरिउ को पूरा स्वयंभू के पुत्र त्रिभुवन ने किया थाl
- पउमचरिउ, रामकथा पर आधारित अपभ्रंश का एक महाकाव्य है।
- बारह हजार पद हैं।
- मूलरूप से इस रामायण में कुल 92 सर्ग थे, जिनमें स्वयंभू के पुत्र त्रिभुवन ने अपनी ओर से 16 सर्ग और जोड़े।
- गोस्वामी तुलसीदास के 'रामचरित मानस' पर महाकवि स्वयंभू रचित 'पउम चरिउ' का प्रभाव स्पष्ट दिखता है।
Additional Information
रचना |
रचनाकार |
शताब्दी |
रिट्ठमेणी चरिउ |
स्वयंभू |
आठवीं शताब्दी |
नागकुमारचरिउ |
स्वयंभू |
आठवीं शताब्दी |
आदिकाल Question 7:
विद्यापति का उपनाम है
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 7 Detailed Solution
Key Pointsविद्यापति (1350-1450 ई०)
- विद्यापति के गुरु का नाम पण्डित हरि मिश्र था।
- विद्यापति बिहार प्रान्त के दरभंगा जिले के 'विपसी' नामक गाँव के निवासी थे।
- कवि विद्यापति ने दो प्रकार की भाषा का प्रयोग किया है - (1) पुरानी अपभ्रंश का (2) बोलचाल की देशी भाषा का।
विद्यापति का उपनाम :
- मैथिल कोकिल
- अभिनव जयदेव
- नवकवि शेखर
भाषा की दृष्टि से विद्यापति द्वारा रचित ग्रन्थ निम्न हैं -
संस्कृत |
अवहट्ट | मैथिली |
शैव सर्वस्व सार |
कीर्तिलता |
पदावली |
गंगा वाक्यावली |
कीर्ति पताका |
गोरक्ष विजय (नाटक) |
आदिकाल Question 8:
सिद्ध-साहित्य के अन्तर्गत चौरासी सिद्धों की वे साहित्यिक रचनाएं आती हैं जो:
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 8 Detailed Solution
सिद्ध-साहित्य के अन्तर्गत चौरासी सिद्धों की वे साहित्यिक रचनाएं आती हैं जो तात्कालिक लोक भाषा हिंदी में लिखी गई है। Key Points
- सिद्ध साहित्य के अंतर्गत 84 सिद्धों के समय प्रचलित लोक भाषा हिंदी में जो साहित्य ग्रंथ लिखे गए हैं उनको शामिल किया गया है।
- सिद्ध बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा से सम्बंधित हैं। सिद्धों ने बौद्ध-धर्म के वज्रयान तत्व का प्रचार करने के लिए जन भाषा में जो साहित्य लिखा वह हिन्दी के सिद्ध साहित्य के अन्तर्गत आता है।
- राहुल सांकृत्यायन ने चौरासी सिद्धों के नामो का उल्लेख किया है।
- सिद्ध साहित्य का आरम्भ सिद्ध सरहपा से होता है। सरहपा को प्रथम सिद्ध माना जाता है।
- इन सिद्धों में सरहपा, शबरपा, लुइपा, डोम्भिपा, कण्हपा तथा कुक्कुरिपा हिन्दी के प्रमुख सिद्ध कवि हैं।
आदिकाल Question 9:
'सखि। पिया को जो मैं न देखूँ,
तो कैसे काटूँ अंधेरी रितयॉं।'
उपर्युक्त काव्य पंक्तियाँ किस कवि की हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 9 Detailed Solution
- सही उत्तर विकल्प 3 है।
- यह पंक्तियां अमीर खुसरो की हैं। Key Points
- अमीर खुसरो आदिकाल के कवि हैं।
- खड़ी बोली के आदि कवि
- गुरु - निजामुद्दीन औलिया
- बृज भाषा, खड़ी बोली आदि में रचना
- वास्तविक नाम ए अबुल हसन
- प्रमुख रचनाएं -
- खालिकबारी
- दो सुखने
- ग़ज़ल
- पहेलियां, मुकरियां आदि
- महत्वपूर्ण पंक्ति - "मैं हिंदुस्तान की तूती हूं, अगर तुम वास्तव में मुझसे कुछ पूछना चाहते हो तो हिंदवी में पूछो जिसमें की मैं कुछ अद्भुत बातें बता सकूं।"
Additional Information
आदिकाल Question 10:
राहुल सांकृत्यायन ने आदिकाल को क्या नाम दिया है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 10 Detailed Solution
राहुल सांकृत्यायन ने आदिकाल को सिद्ध सामंत युग नाम दिया है।
आदिकाल हजारीप्रसाद द्विवेदी ने नामकरण किया।
Key Points राहुल सांकृत्यायन-
- जन्म-1893-1963ई.
- राहुल सांकृत्यायन हिंदी के प्रमुख साहित्यकार है।
- इन्होने बीसवीं शती में यात्रा साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- प्रमुख रचनाएँ-
- मेरी लद्दाख यात्रा 1926ई.
- लंका यात्रावली 1927ई.
- मेरी यूरोप यात्रा 1932ई.
- तिब्बत में सवा वर्ष 1939ई.
- घुमक्कड़ शास्त्र 1949ई. आदि।
Additional Information अन्य विद्वानों द्वारा आदिकाल का नामकरण-
प्रस्तोता | नामकरण |
धीरेन्द्र वर्मा | अपभ्रंश युग |
जार्ज ग्रियर्सन | चारणकाल |
महावीर प्रसाद द्विवेदी | बीजवपन काल |
रामचंद्र शुक्ल | वीरगाथाकाल |
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र | वीरकाल |