नीचे दो कथन दिए गए हैं:

कथन I: खतरनाक पदार्थ जैसे लेड, पारा और षट्संयोजीक्रोमियम एक या दूसरे रूप में इलेक्ट्रॉनिक कचरे में मौजूद होते हैं।

कथन II: पर्यावरणीय दृष्टिकोण से इलेक्ट्रॉनिक कचरे का लैंडफिलिंग सबसे उपयुक्त प्रक्रिया है।

उपरोक्त कथनों के आलोक में नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए। 

  1. कथन I और कथन II दोनों सत्य हैं। 
  2. कथन I और कथन II दोनों असत्य हैं। 
  3. कथन I सही है लेकिन कथन II असत्य है। 
  4. कथन I असत्य है लेकिन कथन II सत्य है। 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : कथन I सही है लेकिन कथन II असत्य है। 

Detailed Solution

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अवधारणा-

  • इलेक्ट्रॉनिक कचरा या ई-कचरा दुनिया भर के विकसित और विकासशील देशों में उभरती हुई समस्याओं में से एक है।
  • इसमें मूल्यवान सामग्रियों के साथ बहुत सारे घटक शामिल हैं, जिनमें से कुछ में जहरीले पदार्थ होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
  • पिछले अध्ययनों से पता चलता है कि भारत ने 2010 में 0.4 मिलियन टन ई-कचरा उत्पन्न किया था जो 2013-2014 तक 0.5 से 0.6 मिलियन टन तक बढ़ सकता है।
  • -इलेक्ट्रॉनिक कचरा या ई-कचरा शब्द का इस्तेमाल पुराने, खत्म हो रहे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, TVs, DVD प्लेयर, मोबाइल फोन, mp3 प्लेयर आदि के लिए किया जाता है, जिनका मूल उपयोगकर्ता द्वारा निपटान किया जा चुका है। 
  • टेलीविज़न और कंप्यूटर मॉनीटर में आमतौर पर लेड, पारा और कैडमियम जैसी खतरनाक पदार्थ होते हैं, जबकि निकेल, बेरिलियम और ज़िंक प्रायः सर्किट बोर्ड पर पाए जा सकते हैं। इन पदार्थों की उपस्थिति के कारण, ई-कचरे का पुनर्चक्रण और निपटान एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाता है।
  • पर्यावरणीय दृष्टिकोण से इलेक्ट्रॉनिक कचरे का लैंडफिलिंग सबसे उपयुक्त प्रक्रिया नहीं है।

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